Dainik Athah

मानसिक स्थिति को सुदृढ़ करता है सच्चा मोती

ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा होता है मन का कारक

हमारी पृथ्वी रत्नगर्भा है, यह असंख्य अमूल्य रत्नों से भरी हुई है।

कोयले से लेकर हीरे तक और विभिन्न रत्न, आभूषण ,सोना, चांदी, माणिक्य, पन्ना, पुखराज,नीलम सब पृथ्वी के गर्भ से ही निकलते हैं।

समुद्र की महिमा भी किसी से कम नहीं है ।वह भी अमूल्य रत्नों से भरा पड़ा है। मूंगा और सच्चा मोती ये जलीय रत्न है।

आज हम आपको बात करते हैं सच्चे मोती की। ज्योतिष की दृष्टि से सच्चा मोती चंद्रमा का रत्न है जो समुद्र में सीप से निकलता है।

आजकल सच्चे मोती की खेती भी होने लगी है। जो भारत में तेजी से विकसित हो रही है।

लेकिन सर्वाधिक शुद्ध और उपयोगी सच्चा मोती दक्षिणी गहरे सागर में सीपों से निकाले जाते हैं जो दुर्लभ और चमत्कारी होते हैं ।

इन्हें साउथ सी का मोती कहा जाता है, यह मोती सर्वोच्च श्रेणी का होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में चंद्रमा अशुभ होते हैं। अर्थात अच्छे भाव के होने के बावजूद अशुभ स्थानों छठे, आठवें, बारहवें स्थान में विराजमान हो, तो जीवन में निराशा का भाव संचार करते हैं ।चंद्रमा यदि अशुभ नीच राशि अर्थात वृश्चिक का हो तो भी अशुभ फल देने वाला होता है।

इसके कारण व्यक्ति की मनोदशा अच्छी नहीं होती ।कभी-कभी तो व्यक्ति चंद्रमा की महादशा में वे डिप्रेशन में भी चले जाते हैं।

अशुभ चंद्रमा केवल मानसिक तनाव ही नहीं देते, बल्कि घर के सुख को भी कम करते हैं। क्योंकि चतुर्थ भाव के कारक चंद्रमा होते हैं और चतुर्थ भाव माता ,घर का सुख , वाहन और मन का कारक है अशुभ चंद्रमा होने से इन से जुड़ी समस्याएं आती रहती हैं। इन सब को ठीक करने के लिए जहां बहुत सारे ज्योतिषीय उपाय होते हैं वहां रत्नों का उपाय यह कारगर होते हैं।

साउथ सी का सच्चा मोती धारण करने से उपरोक्त समस्याओं में शीघ्र लाभ होता है।

रत्न धारण करने के लिए किसी विद्वान ज्योतिषी से जन्मपत्री दिखाकर चंद्रमा के लिए शुभ रत्न पहनें तो आपके लिए बहुत ही अच्छा रहेगा ।कभी-कभी चंद्रमा अशुभ घर का स्वामी होता है उसमें सच्चा मोती पहनने से कभी-कभी दिक्कत आ जाती है इसलिए इसको किसी विद्वान से अवश्य परामर्श लेना पड़ेगा।

इसके साथ साथ साउथ सी के सच्चे मोती के अलावा अन्य अन्य रत्न भी पहन सकते हैं जैसे सामान्य सच्चा मोती, चंद्रमणि, सफेद मूंगा आदि। सच्चे मोती को हमेशा चांदी की धातु में बनवा कर सीधे हाथ की कनिष्ठा अथवा अनामिका में ही पहनना चाहिए।

कोई भी रत्न को पहनने से पहले पंचामृत आदि से शुद्ध करके तत्संबंधित ग्रह के बीज मंत्र या वैदिक मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।रत्न पहनने के अलावा अशुभ
चंद्रमा के अन्य उपाय भी हैं।

चंद्रमा को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा उपाय माता ,मौसी ,चाची आदि को प्रसन्न करना और उनका सम्मान करना, उनको उपहार देना भी बहुत अच्छा रहता है।

किसी महिला को सफेद वस्तुओं का दान चावल, आटा ,चीनी ,दूध ,दही सफेद वस्त्र आदि दान करने से भी चंद्रमा मजबूत होता है।

आचार्य शिव कुमार शर्मा,
आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य,
गाजियाबाद

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