एक ही दिन में एक आईएएस सोनभद्र के कलेक्टर एवं एक आईपीएस गाजियाबाद के कप्तान को निलंबित कर दिया गया। सोनभद्र के कलेक्टर पर भ्रष्टाचार समेत अन्य आरोप है। लेकिन गाजियाबाद कप्तान भ्रष्टाचार से दूर है। यह एक आम धारणा भी है। क्या इस निलंबन के सहारे बाबा बड़ा संदेश प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को देना चाहते हैं। कोई कुछ भी कहें मुझे तो यहीं लगता है कि बाबा बड़ा संदेश दे रहे हैं। यदि बात गाजियाबाद कप्तान की जाये तो अपराधों पर काबू न पाना इसकी आड़ ली गई हो। जबकि हकीकत में जो लगता है वह मतगणना के दिन हुआ विवाद जो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं एवं जन प्रतिनिधियों के साथ था। इसके साथ ही इंदिरापुरम का मामला जिसमें कप्तान के कहने से धारा 307 हटाई गई थी हो सकती है। इस मामले में भाजपा के दो विधायकों, महानगर अध्यक्ष एवं संघ के अधिकारी भी कप्तान से मिले थे और आपत्ति जताई थी। सबसे बड़ी बात यह है कि चुनावों से पहले लगातार एक आरोप बाबा झेलते रहे हैं कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी बेलगाम है। पुलिस- प्रशासन के अधिकारी भाजपा के विधायकों, मंत्रियों एवं पदाधिकारियों की नहीं सुनते। बाबा हर मुद्दे पर बैटिंग कर रहे थे। इसी मुद्दे पर वे बैकफुट पर आ जाते थे। इस बार सरकार बनने के बाद फिर से यह मुद्दा हवा में तैरने लगा था। जो दो घटनाएं बताई गई है कि वह इसी से संबंधित है कि अधिकारी भाजपाइयों को तव्वजो नहीं देते। अब निलंबन की बड़ी कार्रवाई कर बाबा ने ब्यूरोक्रेसी को संदेश देने का भी प्रयास किया है कि भाजपाइयों खासकर पदाधिकारियों, विधायकों एवं मंत्रियों की बात न सुनना अब बर्दाश्त नहीं होगा। भाजपा के बड़े पदाधिकारी कहते हैं कि यह संदेश जाने के बाद कार्यकर्त्ताओं का मनोबल अवश्य बढ़ेगा। यदि आगे की बात करें तो मेरे सूत्र बताते हैं कि जल्द ही कुछ और अधिकारियों पर गाज गिरेगी। योगी की पहली एवं 2.0 सरकार में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा इसकी शुरूआत हो चुकी है। लेकिन ईमानदार अधिकारियों की कद्र होनी चाहिये, यह भी आवश्यक है।
Manthan………. Manthan………. Manthan……….