उत्तर प्रदेश में योगी 2.0 मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को शपथ ले ली। लेकिन राजनीति के जानकारों की मानें तो मंत्रिमंडल का गठन और नाम तय करना आसान नहीं था। जिस दिन मंत्रियों को शपथ दिलाई जानी थी उस दिन सुबह दस बजे के बाद तक स्थिति स्पष्ट नहीं थी। लगातार नामों को काटने के साथ ही जोड़ने का काम किया जा रहा था। लखनऊ के साथ ही दिल्ली में भी सरगर्मी थी। दैनिक अथाह ने पहले ही बता दिया था कि जिस प्रकार उत्तराखंड में दो घंटे पहले मंत्रियों के नाम तय हुए, यहीं स्थिति उप्र में भी रहने वाली है। मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के बाद सभी की नजरें प्रदेश सरकार में शामिल किस मंत्री को कौन सा विभाग मिलता है इसके ऊपर लगी है। इच्छा किसी की कुछ भी हो यह मायने नहीं रखता। हां इतना अवश्य है कि दोनों उप मुख्यमंत्रियों के साथ ही बेबी रानी मौर्य, सहयोगी दलों के मंत्रियों को लेकर पेंच फंस सकता है। इन सभी की अपनी अपनी इच्छाएं हिलौरे मार रही है। केशव प्रसाद मौर्य अपने पुराने विभाग के साथ ही कोई अन्य महत्वपूर्ण विभाग भी चाहते हैं। पश्चिम से जाट मंत्री भूपेंद्र चौधरी की नजर भी किसी महत्वपूर्ण विभाग पर है। यदि देखा जाये तो कौनसा विभाग किसे देना है यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। लेकिन इसमें संगठन के साथ ही भाजपा के राष्टÑीय नेतृत्व की रजामंदी भी आवश्यक होगी। जानकारों की मानें तो रविवार तक विभागों का बंटवारा होने की उम्मीद थी। लेकिन इसमें कई पेंच फंसे है। इसी कारण संभावना जताई जा रही है कि विभागों के बंटवारे में एक- दो दिन का समय लग सकता है। अब देखते हैं कि विभागों का बंटवारा कब होता है। विभागों के हिसाब से भी मंत्रियों की ताकत को जनता परखेगी कि कौन मंत्री कितना ताकतवर है। दूसरी तरफ उत्तराखंड में भी अभी तक विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है। पुष्कर सिंह धामी की जैसी कार्यशैली है वे बगैर केंद्रीय नेताओं की सलाह के विभागों का बंटवारा नहीं करने वाले हैं।