फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है, जल्दी उपचार प्रसार रोकने में मददगार
स्वास्थ्य विभाग टीबी की जांच और उपचार निशुल्क उपलब्ध कराता है
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। विश्व क्षय रोग दिवस के मौके पर बृहस्पतिवार को लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन में स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में 4102 क्षय रोगियों को विभिन्न संगठनों ने गोद लिया। इस मौके पर रेडक्रॉस सोसायटी की ओर से टीबी से लड़ रहे बच्चों को हाईजिन किट और स्वास्थ्य विभाग की ओर से पोषाहार वितरित किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अस्मिता लाल ने कहा टीबी के प्रसार को रोकने के लिए जन सहभागिता बहुत जरूरी है। अधिक से अधिक लोग टीबी के लक्षणों के बारे में जानें और अपने आसपास रहने वाले लोगों में यदि इनमें में से कोई लक्षण दिखे तो जांच के लिए प्रेरित करें।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने कहा फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है और एक रोगी एक वर्ष में अपने संपर्क में आने वाले 15 से 20 लोगों को टीबी का संक्रमण दे देता है क्षय रोग का आगे प्रसार होता रहता है। संक्रमण की शुरुआत में ही उपचार शुरू कर क्षय रोग के प्रसार को रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि लोग टीबी के बारे में जागरूक हों और अपने आसपास रहने वाले लोगों को भी जागरूक करें। विश्व क्षय रोग दिवस मनाए जाने का भी यही उद्देश्य है। 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का प्रधानमंत्री का संकल्प पूरा करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम को जनांदोलन बनाने के पीछे भी यही मंशा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. आरके यादव ने बताया विश्व में प्रतिवर्ष एक करोड़ व्यक्ति क्षय रोग से ग्रसित हो जाते हैं और इनमें से 14 लाख की मृत्यु हो जाती है। पूरी दुनिया के करीब एक चौथाई क्षय रोगी हमारे देश में हैं। क्षय रोग की जांच और उपचार पूरी तरह निशुल्क है। उपचार के दौरान सरकार की ओर से बेहतर पोषण के लिए हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जाता है। फेफड़ों की टीबी संक्रामक है और रोगी के खांसते, छींकते और बोलते समय उसके मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट के साथ टीबी के कीटाणु सांस के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर उसे भी संक्रमित कर देते हैं। लेकिन उपचार शुरू होने के बाद इसकी आशंका नहीं रहती। इसलिए वर्ष में दो बार घर-घर सक्रिय टीबी रोगी खोज (एसीएफ) अभियान चलाया जाता है।
उन्होंने बताया दो सप्ताह से अधिक खांसी, शाम के समय हल्का बुखार आना, वजन व भूख कम होना, बलगम अथवा बलगम के साथ खून आना, रात में सोते समय पसीना आना और छाती में दर्द की शिकायत क्षय रोग के लक्षण हो सकते हैं। जनपद में जनवरी, 2022 से अब तक 2770 क्षय रोगी उपचार पर रखे गए हैं। छह माह के नियमित उपचार के बाद टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है, बीच में दवा न छोड़ें। विश्व क्षय रोग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में एसीएमओ डा. सुनील त्यागी, डा. विश्राम सिंह, डा. नीरज अग्रवाल, डा. राकेश गुप्ता, जिला मलेरिया अधिकारी ज्ञानेंद्र मिश्रा, डिप्टी सीएमओ डा. जीपी मथूरिया, जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डा. मनोज चतुर्वेदी, जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. संगीता गोयल, आरडब्लूए फेडरेशन के अध्यक्ष रि. कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी, सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन ललित जयसवाल, केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी और अभिभावक संगठनों से जुड़े पदाधिकारी मौजूद रहे।