केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से तौबा करें
न बनें अनजान,कोरोना प्रोटोकॉल का रखें ध्यान
अथाह संवाददाता
हापुड़। होली के त्यौहार को खुशनुमा माहौल में मनाएं। प्रयास रहे कि समूहों में होली न खेलें। जनपद बेशक कोरोना मुक्त घोषित हो चुका है, लेकिन फिर भी सावधानी जरूरी है। त्यौहार के मौके पर भी कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखें। त्यौहार के मौके पर कोई अनहोनी न हो, इसके लिए सतर्कता जरूरी है। केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से तौबा करें। केमिकल युक्त रंग त्वचा और आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। यह बातें बृहस्पतिवार को जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रदीप मित्तल ने कहीं। साथ ही उन्होंने बताया होली के मौके पर जिला चिकित्सालय में 24 घंटे (राउंड द क्लॉक) स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
डा. मित्तल ने बताया लाल, नीले और हरे रंगों में सबसे ज्यादा केमिकल मिलाया जाता है, इन रंगों से बचें। होली खेलने के लिए केवल हर्बल रंगों का ही प्रयोग करें। केमिकल युक्त रंग से त्वचा छिल जाती है। इससे बचाव के लिए होली खेलने से पहले अपनी त्वचा पर कोई मॉश्चराइजर, नारियल का तेल या फिर सरसों का तेल लगा लें। इसे रंगों को साफ करने में भी मदद मिलेगी। ध्यान रहे कि ज्यादा देर तक भीगते न रहें। कुछ देर होली खेलने के बाद तुरंत नहा लें, ताकि यदि कोई केमिकल युक्त रंग इस्तेमाल भी हुआ तो उसका दुष्प्रभाव कम हो। नाक या मुंह में रंग जाने पर तत्काल अच्छी से धोलें। नहीं तो केमिकल युक्त रंग संक्रमण का कारण बन सकता है।
होली खेलते समय आंखों का बचाव करना न भूलें। केमिकल युक्त रंग आंख में गिरने से आंख की रोशनी तक जा सकती है। इसी प्रकार कानों का बचाव भी जरूरी है। बच्चे गुब्बारे मारते हैं उनमें भरा रंग काफी प्रेशर के साथ लगता है, और यदि यह सीधे कान में लग जाए तो कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है। बच्चों के कान के पर्दे ज्यादा नाजुक होते हैं। इसलिए उनके बचाव की भी ज्यादा जरूरत है। रंगों में पड़ा केमिकल कई बार इतना तीव्र होता है कि आंख में गिरने पर वह आंख के पर्दे को जला देता है। रंग से आंख में जलन होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि रंग में खतरनाक केमिकल है। ऐसे में आंख को कतई न रगड़ें। तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।