आरआरटीएस ट्रेन की यात्री सुविधाएं लॉन्च
5 से 10 मिनट में स्टेशनों पर उपलब्ध होगी रैपिड रेल
एक घंटे में लगभग 100 किमी की दूरी तय करेंगी
महिला यात्रियों के लिए आरक्षित होगा एक कोच
रैपिड रेल के डिब्बों में चार्जिंग व अत्याधुनिक सुविधाएं
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अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के एमडी विनय कुमार सिंह ने दुहाई डिपो, गाजियाबाद में अत्याधुनिक रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) ट्रेन की कम्यूटर केंद्रित सुविधाओं का अनावरण किया। इस अवसर पर सिंह ने कहा, “देश की पहली आरआरटीएस परियोजना की शुरुआत के बाद से, हमने हमेशा यात्रियों की सुविधा को प्राथमिक है।
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हमारी टीमों ने क्षेत्रीय यात्रा के लिए यात्रियों की जरूरतों का बारीकी से अध्ययन किया है और कई अनुकूलित सुविधाएं प्रदान करने पर काम किया है जो यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर, चाहे वह ट्रेन हो या स्टेशन, यात्रियों के लिए आसानी से पहुंच और यात्रा की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आरआरटीएस सुरक्षित और कुशल क्षेत्रीय आवागमन के लिए लोगों की पहली पसंद बनने की क्षमता रखता है।”
यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, अल्ट्रा-आधुनिक आरआरटीएस ट्रेनों में एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन की गई 2×2 ट्रांसवर्स सीटिंग, आरामदायक स्टैंडिंग स्पेस, लगेज रैक, सीसीटीवी कैमरा लैपटॉप व मोबाइल चार्जिंग सुविधा, डायनेमिक रूट मैप, इंफोटेनमेंट सिस्टम, रोशनी-आधारित ऑटो नियंत्रण प्रकाश व्यवस्था, तापमान नियंत्रण प्रणाली और अन्य सुविधाएं होंगी। वातानुकूलित आरआरटीएस ट्रेनों में मानक के साथ प्रीमियम वर्ग (प्रति ट्रेन एक कोच) होगा और साथ ही एक कोच महिला यात्रियों के लिए आरक्षित होगा।
मेक इन इंडिया दिशानिर्देशों के तहत, आरआरटीएस के लिए 100% ट्रेनसेट भारत में निर्मित किए जा रहे हैं। सावली में स्थित विनिर्माण सुविधा पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए कुल 210 कोर्चा (40 ट्रेनसेट) की डिलीवरी करेगी। इसमें दिल्ली-गाजियाबाद मेरठ कॉरिडोर पर क्षेत्रीय परिवहन सेवाओं के संचालन और मेरठ में स्थानीय ट्रांजिट सेवाएं के लिए ट्रेनसेट शामिल हैं। इस साल एनसीआरटीसी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन पर ट्रायल रन शुरू करेगी।
आरआरटीएस अपनी तरह की पहली प्रणाली है जिसमें 180 किमी प्रति घंटे की गति वाली ट्रेनेंहर 5-10 मिनट में उपलब्ध होंगी और लगभग एक घंटे में लगभग 100 किमी की दूरी तयकरेंगी। एनसीआरटीसी ने एनसीआर में विभिन्न सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को मूल रूप से जोड़कर नेटवर्क का एक विशाल नेटवर्क बनाने की पहल की है। आरआरटीएस स्टेशनों का जहां भी संभव हो, मेट्रो स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों, बस डिपो के साथ सहज एकीकरण होगा। आरआरटीएस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लोगों और स्थानों को करीब लाएगा और इस क्षेत्र के सतत और संतुलित विकास को सक्षम करेगा।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है। आरआरटीएस सबसे अधिक ऊर्जा कुशल फ्यूचरिस्टिक ट्रांजिट सिस्टम साबित होगा जो निर्बाध रूप से जुड़े मेगा क्षेत्रों के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा और भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं के लिए एक नया बेंचमार्क स्थापित करेगा।
82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर काम जोरों पर है जिसमें दुहाई और मोदीपुरम में 2 डिपो और जंगपुरा में 1 स्टैबलिंग यार्ड सहित कुल 25 होंगे। हाल ही में कॉरिडोर पर 22वीं लॉन्चिंग गैन्ट्री लगाई गई थी और 14,000 से अधिक कर्मचारी और 1100 से अधिक इंजीनियर दिन-रात निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। एनसीआरटीसी ने एलिवेटेड सेक्शन के नींव के काम का लगभग 80% पूरा कर लिया है। अब तक 40 किमी खंड पर 1400 से अधिक पीयर्स और 18 किमी वायाडक्ट का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें से अधिकांश प्रायोरिटी सेक्शन में हैं।
साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर के प्रायोरिटी सेक्शन को 2023 तक और पूर्ण कॉरिडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रायोरिटी सेक्शन पर सिविल वर्क, जिसमें कुल 5 स्टेशन हैं, पूरा होने वाला है। एलिवेटेड वायडक्ट पर ओवरहेड इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट (ओएचई) इंस्टालेशन के साथ ट्रैक बिछाने का काम चल रहा है। प्रायोरिटी सेक्शन यानी साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो के सभी 5 आरआरटीएस स्टेशन आकार लेने लगे हैं। पहले आरआरटीएस कॉरिडोर में प्रतिदिन लगभग 8 लाख यात्रियों के आने जाने की संभावना है।