भाजपा ने पउप्र में फहराया जीत का परचम
मुजफ्फरनगर- शामली को छोड़कर जाट लैंड में भी योगी की जय जयकार
गाजियाबाद की सभी सीटों पर दोबारा कब्जा, बागपत की तीन में दो सीटें जीती
बिजनौर में भी भाजपा- गठबंधन के खाते में चार- चार सीटें
अशोक ओझा,
गाजियाबाद/ मेरठ। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन, रालोद मुखिया जयंत चौधरी का सपा से गठबंधन, टिकैत भाइयों के भाजपा के खिलाफ मुखर स्वर भी जाट लैंड कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का रथ नहीं रोक सके। और तो और रालोद मुखिया अपने गढ़ बागपत लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा के अश्वमेघ यज्ञ के घोडेÞ को नहीं रोक पाये। मुजफ्फरनगर जिले के साथ ही शामली ने अवश्य स्पीड ब्रैकर बनाये, लेकिन बाबा के घोड़े की रफ्तार नहीं रूक सकी।
इस बार यह माना जा रहा था कि जाट लैंड कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की राह आसान नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चुनौती को स्वीकार किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले व दूसरे चरण में चुनाव थे। इस कारण यह भी माना जा रहा था कि जाट लैंड से निकलने वाला संदेश पूरे प्रदेश के चुनाव को प्रभावित करेगा। यहीं कारण था कि योगी ने अपना पूरा ध्यान पहले चरण में लगाया। कुछ सीटों को छोड़ दिया जाये तो उन्होंने अधिकांश सीटों पर हुंकार भरी। इसका लाभ भी भाजपा को मिला। जहां जहां योगी गये एवं देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गये उनमें अधिकांश सीटों पर भाजपा को जीत मिली।
पूरा किसान आंदोलन गाजियाबाद जिले में दिल्ली की सीमा पर लड़ा गया था। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत एक वर्ष तक यहीं पर डेरा डाले रहे। लेकिन जिले की पांचों सीटों पर भाजपा ने झंडा बुलंद किया। लोनी को छोड़ दें तो वह भी पहले से ज्यादा अंतर से। जीतने में सफल रही। लोनी में अवश्य अंतर कम रहा।
यदि बागपत लोकसभा सीट को देखा जाये तो मोदीनगर विधानसभा इसी क्षेत्र में है। यहां पर भाजपा की डा. मंजू शिवाच लगातार दूसरी बार जीत का परचम लहराने में सफल रही। इसी प्रकार बागपत एवं बड़ौत विधानसभा सीटें भी भाजपा के योगेश धामा एवं बड़ौत में केपी मलिक ने जीत हासिल की। हां इतना अवश्य है कि छपरौली पर रालोद ने जीत हासिल की। इसके साथ ही सिवालखास सीट को रालोद ने भाजपा से छिन लिया। भाजपा प्रत्याशियों ने उस स्थिति में जीत हासिल की जबकि उनके अपने सांसद भी वर्तमान विधायकों के विरोध में थे।
इस जाट लैंड में सबसे बड़ा असर शामली जिले में नजर आया। यहां पर प्रदेश के कद्दावर मंत्री सुरेश राणा थाना भवन से चुनाव हार गये। इसके अन्य दो सीटों कैराना एवं शामली में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही मुजफ्फरनगर जिले में भाजपा को चार सीटें गंवानी पड़ी। यहां पर टिकैत बंधु असर कर गये। बिजनौर जिले में चार सीटें भाजपा एवं चार गठबंधन को मिली। यहां पर कुछ असर नजर आया। लेकिन सहारनपुर जिले में सात में पांच सीटों पर कमल खिला, जबकि दो सीटें गठबंधन के खाते में गई।
भाजपा को यहां पर एक सीट का लाभ मिला। मेरठ में भाजपा ने किठौर, सिवालखास एवं सरधना सीटें गंवा दी। बावजूद इसके साथ योगी का जादू मतदाताओं में सिर चढ़कर बोला। भाजपा को जितना नुकसान जाटलैंड में होने की आशंका थी उसके मुकाबले कोई खास असर गठबंधन नहीं दिखा सका। इसके साथ ही जयंत चौधरी को देखें तो उनकी सीटें अवश्य बढ़ी, लेकिन वे कोई बड़ा करिश्मा नहीं कर सके।
वर्तमान परिणाम आने वाले समय में भाजपा के जाट नेता एवं केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को 2024 में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।