पिछले एक सप्ताह से रुस- यूक्रेन युद्ध चल रहा है। इस कारण यूक्रेन में मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने गये गरीब एवं मध्यम वर्ग के हजारों छात्र जिनकी संख्या करीब 20 हजार बताई जा रही है फंस गये। लेकिन युद्ध के बावजूद भारत सरकार ने जिस प्रकार आपरेशन गंगा के तहत छात्रों की भारत वापसी सुनिश्चित की है उसकी जितनी सराहना की जाये कम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिन में दो- दो बार इस मामले में उच्च स्तरीय बैठकें कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने यूक्रेन की सीमा से लगे देशों के राष्टÑाध्यक्षों से बात कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि भारतीय छात्रों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। पहली बार चार केंद्रीय मंत्रियों को अलग अलग देशों के लिए रवाना किया गया जिससे वे वहां की सरकारों से बात कर यह सुनिश्चित करें कि भारतीय छात्रों की सकुशल भारत वापसी हो। एक छात्र के मारे जाने के बाद रुस- यूक्रेन के राजदूतों को तलब कर भारत सरकार ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। जिस प्रकार केंद्रीय मंत्री यूक्रेन की सीमाओं पर छात्रों की वापसी का प्रयास कर रहे हैं तथा उन्हें भारत वापस भेज रहे हैं वह बताता है कि मंत्री वहां जाकर सरकारी मेहमान नहीं है। वे छात्रों की हर परेशानी को समझने के साथ ही उन्हें दूर कर रहे हैं। छात्रों के बीच वे एक अभिभावक एवं दोस्त की तरह बर्ताव कर रहे हैं। खासकर ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं जनरल वीके सिंह के वीडियो देखकर तो यहीं लग रहा है। अब भारत के लोगों को भी भरोसा हो रहा है कि उनके बच्चे सुरक्षित देश वापस आ गये हैं अथवा आ रहे हैं। भारतीय छात्र जो अब तक परेशानी में थे तथा यूक्रेन की सीमाओं पर फंसे थे उनकी बार्डर से सुरक्षित निकासी भी बड़ा कदम है। इसके साथ ही जो वीडियो छात्रों के देखे गये हैं उनमें वे यूक्रेन के निवासियों की सराहना करते भी दिखे कि वहां के लोग भारतीयों की मदद कर रहे हैं। छात्रों की सुरक्षित भारत वापसी को लेकर अभी तो यहीं कहा जा सकता है, जय हिंद