… जब डॉक्टर साहब ने कर्मचारियों को पढ़ाया सीनियरटी का पाठ
नगर निगम के वाहन चालक बुधवार को दिनभर परेशान रहे। निगम के नेतागिरी करने वाले वाल्मीकि समाज के कई नेताओं ने निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को फोन पर फोन करके एड़ी चोटी का दम लगा लिया लेकिन किसी का भी फोन नहीं उठा। आखिरकार हिम्मत पस्त होने के बाद सभी ड्राइवर एक पार्षद महोदय के दर पर जा पहुंचे और खुद को सरेंडर करते हुए मामला सुलझाने का अनुरोध किया। नगर निगम की नौकरी करते हुए नेतागिरी कर रहे लोगों ने बताया कि डॉक्टर साहब फोन नहीं उठा रहे। जिस पर मेंबर साहब ने भी बड़ा दिल दिखाते हुए डॉक्टर साहब को फोन लगाया और एक ही बार में फोन उठा भी और वह मुख्यालय पहुंचे भी। इस पर कई नेताओं ने डॉक्टर साहब को अपनी नाराजगी दिखाई। लेकिन डॉक्टर साहब ने भी नौकरशाही के तेवर दिखाते हुए कहा कि हम तुम्हारे साहब हैं और यह हमारे साहब हैं, इसलिए अपनी तुलना इनसे करना बंद करो।
… और मतगणना से पहले पिता की पुण्यतिथि!
सुना था कि राजनेता अपनी सुविधा अनुसार आयोजनों को आगे पीछे कर लेते हैं। ऐसा ही कुछ वर्षों पहले देखने में आया था जब वरिष्ठ नेता को आमंत्रण देते हुए एक नेता ने अपने पोते का जन्मदिन मनाने का आग्रह किया था जब वरिष्ठ नेता ने उनसे पूछा था कब है तो उन्होंने कहा जब आप पर समय हो। यह किस्सा चर्चाओं में रहा था। लेकिन इन दिनों एक विधानसभा प्रत्याशी के पिता की प्रथम पुण्य तिथि चचार्ओं में हैं। चुनाव लड़े प्रत्याशी 17 अप्रैल की जगह 8 मार्च को ही पिता की पुण्यतिथि मनाने जा रहे हैं। लगभग एक महीने पहले पिता की पुण्यतिथि मनाए जाने पर राजनीतिक और सामाजिक लोगों में जहां चर्चा का विषय है वही लगता है नेताजी मतगणना से पहले ही पुण्यतिथि का कार्यक्रम रखना चाहते हैं पर क्यों यह तो वही बता सकते हैं।