- जो लूट दो सप्ताह में नहीं खुल सकी थी, वह
- फैक्ट्री में टाइल्स लगाने वाला ही निकला मुख्य आरोपी, पहले से ही थी शंका फैक्ट्री में काम करने वालों से ही जुड़े हैं लूट के तार

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। जो लूट की घटना मोदीनगर और निवाड़ी थाना पुलिस दो सप्ताह में नहीं खोल सकी उस लूट की घटना को दोनों थानों के प्रभारी और थानाध्यक्ष के लाइन हाजिर होने के साथ ही लंबे समय से मोदीनगर में जमे एसीपी के छुट्टी जाने के बाद तत्काल खुल गई। इससे पता चलता है कि मोदीनगर पुलिस की अब तक की कार्यप्रणाली कैसी रही है।
बता दें कि मोदीनगर नगर पालिका चेयरमैन विनोद जाटव वैशाली की निवाड़ी थाना क्षेत्र के सारा रोड स्थित फैक्ट्री में 27 मई की रात बदमाशों ने चौकीदार को बंधक बनाकर एवं घायल करने के बाद लाखों रुपये की लूट की थी। इसमें करीब 15 लाख रुपये कीमत के जेवर थे जो फैक्ट्री में कार्यरत महिला ने सुरक्षा के लिहाज से अपने लॉकर में रखे हुए थे। इसके साथ ही विनोद वैशाली के दस लाख रुपये भी लूटे गये। जिस दिन घटना हुई थी उसी दिन से यह आशंका व्यक्त की गई थी कि फैक्ट्री में काम करने वाला ही कोई लुटेरों से मिला हुआ है। बावजूद पुलिस लुटेरों को पकड़ नहीं सकी।
इस घटना के विरोध में पिछले दो दिन से मोदीनगर के सभी सभासद एसीपी कार्यालय पर धरना दे रहे थे। वे निवाड़ी थानाध्यक्ष के साथ ही मोदीनगर थाना प्रभारी को लाइन हाजिर करने की मांग कर रहे थे। मोदीनगर एसीपी ने दो बार सभासदों को यह आश्वासन देकर कि पुलिस जल्द लुटेरों को गिरफ्तार कर लेगी उन्हें शांत किया था। लेकिन मंगलवार से सभासदों ने बेमियादी धरना शुरू कर दिया था। इसी बीच पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गौड ने मंगलवार की रात मोदीनगर थाना प्रभारी के साथ ही निवाड़ी थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर कर दिया। मोदीनगर थाना प्रभारी पर लापरवाही बरतने के साथ ही मोदीनगर में चैन स्रेचिंग की घटना लगातार होना मुख्य कारण था।
दूसरी तरफ मोदीनगर एसीपी ज्ञान प्रकाश राय भी अवकाश पर चले गये। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ने एसीपी प्रिया श्रीपाल को मोदीनगर सर्किल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपकर उन्हें लूट की घटना को खोलने की चैलेंज दिया। प्रिया श्रीपाल ने दो दिन में ही लगातार मेहनत कर मुख्य आरोपी को मुठभेड़ में घायल कर गिरफ्तार कर लिया। सबसे बड़ी बात यह है कि जो जेवर लूटे गये थे और नगदी लूटी गई थी उसे भी मोदीनगर चेयरमैन के साथ ही वहां कार्य करने वाली महिला ने पहचान लिया। सबसे बड़ी बात यह है कि जो पुलिस अधिकारी लंबे समय से अपने अपने क्षेत्र में थे वे लुटेरों को नहीं पकड़ सके। यह उनकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब जिले के प्रभारी मंत्री असीम अरुण लगातार इस मामले में नजर रखे हुए थे। बता दें कि विनोद वैशाली की गिनती असीम अरुण के करीबी लोगों में होती है।
पुलिस को पहले ही दिन बता दिया था कि फैक्ट्री से ही जुडेÞ हैं लूट के तार
घटना होने के बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची तो पुलिस के समक्ष पहले ही दिन इशारा कर दिया गया था कि लूट करने वालों से फैक्ट्री में ही काम करने वाला कोई व्यक्ति मिला हुआ है, बावजूद इसके पुलिस लुटेरों को पकड़ने में कोताही बरतती रही अथवा उस समय के पुलिस अधिकारियों ने इसकी गंभीरता को नहीं समझा। मोदीनगर नगर पालिका चेयरमैन विनोद जाटव वैशाली बताते हैं कि लूट की घटना पुलिस ने सही खोली है।