इस समय प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। इस चुनाव में यदि प्रारंभ से देखा जाये तो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के ब्रांड एंबेसडर बनकर उभरे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद यदि किसी की मांग है तो वह बाबा यानि योगी जी की है। प्रदेश में पहले चरण का मतदान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दस फरवरी को हुआ था। उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश में पहली चुनावी सभा को संबोधित किया। इससे पहले प्रधानमंत्री वर्चुअल चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे थे। चुनाव में बाबा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। लिहाजा उन्होंने पूरे चुनाव को एक चुनौती पर लिया। पहले चरण में उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की कि कौन उनकी मांग कर रहा है। वह कब उनकी सभा चाहता है। जानकारी के अनुसार उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्रों में अपनी टीमें गोपनीय रूप से भेजी तथा यह पता किया कि उनके जाने से किस विधानसभा क्षेत्र के समीकरण बदल सकते हैं। इसके बाद उन्होंने खुद ही अपने स्टाफ से सीधे प्रत्याशी को फोन करवाकर अपनी सभा तय कर दी। हालांकि योगी जी की सभा है इसकी जानकारी अनेक जिलों में तो संगठन को भी बाद में लगी। अनेक स्थानों पर तो प्रत्याशी ने संगठन को बताया कि इस दिन योगी जी की सभा है। लेकिन संगठन इनकार करता रहा। इससे पता चलता है कि उनकी हर प्रत्याशी एवं क्षेत्र पर पूरी तरह से निगाह है वे पूरे प्रदेश में खुद ही अपनी सभाएं तय कर रहे हैं, वह भी उन स्थानों पर जहां उनके जाने से पार्टी को हारी सीट जीतने की उम्मीद हो। इस मामले में उन्होंने भाजपा के सभी आला नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। उनकी कोर टीम (ब्यूरोक्रेट्Þस से अलग हटकर) इस मामले में काम कर रही है। जिस प्रकार बाबा चुनाव प्रचार करने के साथ ही प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र पर निगाह रखे हुए हैं वह यह भी बताता है कि उनकी निगाह प्रदेश में दोबारा सत्तारूढ़ होने के साथ ही अनेक मिथक तोड़ने की है, वहीं उनकी नजर भविष्य में केंद्र की राजनीति पर भी लगी है।