Dainik Athah

राग दरबारी

… लकी हूं इसीलिए तो विधायक बन गया

दो दिन पहले एक विवाह समारोह में गोल मेज पर राजनीति एवं समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय लोग बैठ कर चुनावी चकल्लस में मशगूल थे। इस मेज पर फूल वाली पार्टी के एक विधायक जी भी मौजूद थे। इसी दौरान बातों ही बातों में विधायक जी कहने लगे मुझे किसी ने पूछा आपका क्या योगदान रहा जो आप विधायक बन गये, बड़े लकी हो आप। इस पर उन्होंने कहा फूल वाली पाटी्र में एक बार कोई प्रत्याशी हार जाये तो उसे टिकट मिलने की सोची ही नहीं जा सकती थी। लेंकिन पाटी्र ने मुझे दोबारा टिकट दिया। टिकट मिलने के बाद दूसरे चुनाव में मुझे जीत मिली। तब मैंने जवाब दिया भाई लकी हूं इसीलिए तो विधायक बन गया, अन्यथा लोगों का पूरा जीवन टिकट की आस में गुजर जाता है। यह सुनकर आसपास बैठे लोगों के साथ ही दरबारी लाल भी विधायक जी के लक की दाद देने में पीछे कैसे रहते। तभी किसी ने धीरे से कहा लक अच्छा होगा तब भी विरोधियों को पछाड़ते हुए फिर टिकट ले आये थे।

… बिना सीट फाइनल हुए ही मिल रही है बधाई

राजनीति वैसे तो अपार संभावनाओं का नाम है और इन संभावनाओं में अगर कोई दूसरा अपने परिचित के लिए कुछ अच्छा सोच रहा और देख रहा होता है तो यह शुभ संकेत है। ऐसा ही एक वाकया दरबारी लाल को एक शादी समारोह में देखने को मिला। शादी समारोह में भाजपा अनुसूचित मोर्चा के क्षेत्रीय पदाधिकारी को कुछ लोगों ने बधाई देनी शुरू कर दी। जब मामला समझ नहीं आया तो दरबारी लाल ने पूछ लिया। तब पता चला कि भविष्य के मेयर के लिए बिसात बिछ रही हैं और लोग उम्मीदवारी के लिए उन्हें बधाई दे रहे है। यानी अभी सीट की केटेगरी फाइनल नहीं है और बधाई का दौर शुरू हो गया है।

…दरबारी लाल

Raag Darbari….. Darbarilal….. RaagDarbari…..

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