जीपीए ने आयोग और डीएम को लिखा कार्रवाई के लिए पत्र
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। पेरेंट्स एसोसिएशन ने राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग एवं जिलाधिकारी द्वारा आरटीई के अंतर्गत चयनित बच्चों के एडमिशन पर ढुलमुल रवैये अपनाने को लेकर कोर्ट जाने की चेतावनी देते हुए एनसीपीसीआर को पत्र लिखा। इससे पहले भी जीपीए द्वारा तीन बार आयोग को पत्र लिखा जा चुका है।
आपको बता दें कि आरटीई के अंतर्गत चयनित बच्चे वंशिका, ध्रुव, मयंक का एडमिशन जेकेजी इंटरनेशनल स्कूल, विजय नगर में करने का शासनादेश जारी हुआ था। एडमिशन नही लेने की शिकायत जीपीए द्वारा 20 सितंबर 2021 को पत्रांक संख्या जीपीए/1224 के माध्यम से एनसीपीसीआर को अवगत कराया गया था जिसका सज्ञान लेते एनसीपीसीआर द्वारा 30 सितंबर 2021 को फ़ाइल नंबर यूपी 216124/2021-22/ एवम 26/11/2021 को मिसिल संख्या UP217962/2021 -22 /RTE/NCPCR के माध्य्म से गजियाबाद जिलाधिकारी को 20 दिन के अंदर एडमिशन स्कूल में सुनिश्चित कर जांच रिपोर्ट सौपने का पत्र जारी किया गया था। लेकिन पत्र जारी होने के लगभग 5 महीने से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी छात्र व छत्राओ का एडमिशन आरटीई के अंतर्गत सुनिश्चित नही कराया गया है। बच्चों का एडमिशन नहीं होने के बारे में जीपीए द्वारा आयोग को क्रमशः16 -11-2021 को पत्रांक संख्या जीपीए /1232 द्वारा एवं 14 -12- 2021 एवम 23-12-2021 को मेल के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है।
साथ ही 2 मार्च 2022 से आरटीई के तहत बच्चों के चयन की नए सत्र के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ होने वाली है। मामले की गंभीरता पर शिक्षा अधिकारी एवं जिलाधिकारी द्वारा ढुल मूल रवैया अपनाया जा रहा है। जिसके कारण छात्र व छात्रा के अभिभावक मानसिक तनाव में है। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के सचिव अनिल सिंह ने बताया कि जीपीए ने पिछले 5 महीने के अंदर लगातार चौथे स्मरण पत्र के माध्यम से आयोग और जिलाधिकारी से बच्चों के एडमिशन कराने का अनुरोध किया है और कहा है कि बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिये आरटीई के अंतर्गत चयनित बच्चों का एडमिशन अतिशीघ्र स्कूल में सुनिश्चित कराया जाए। साथ ही संबंधित अधिकारियों पर शासनादेश एवं एनसीपीसीआर द्वारा जारी पत्र का उलघ्न करने पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। अगर आयोग, जिलाधिकारी एवं शिक्षा अधिकारियों द्वारा आरटीई के अंतर्गत चयनित बच्चों का एडमिशन तत्काल स्कूल में सुनिश्चित नहीं कराया जाता है तो बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए जीपीए न्यायालय में जाने के लिए विवश होगी।