Dainik Athah

राग दरबारी

… विधायक जी चुनाव लड़ रहे या पदाधिकारियों को नाराज कर रहे

विधानसभा चुनाव में लगता है प्रत्याशियों के सोचने समझने की शक्ति खत्म हो चुकी है। अब इसे सत्ता का नशा कहें या चुनाव का तनाव। जो चुनाव में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकतार्ओं को मनाने की जगह नाराज कर रहे है। ऐसा ही एक वाकया दरबारी लाल को पता चला। दरअसल शहर सीट के एक उम्मीदवार के कान किसी महिला कार्यकर्ता ने भर दिए। उम्मीदवार ने भी आव न देखा ताव और चुनाव लड़ाने के लिए पार्टी द्वारा भेजे गए प्रभारी को खरी खोटी सुना दी। लेकिन जब उनके खासम खास ने उम्मीदवार महोदय को कहा कि विधायक जी चुनाव लड़ रहे हो या पदाधिकारियों को नाराज कर रहे हो। इस पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और महोदय ने फोन पर प्रभारी से गलती मान कर बात को रफा-दफा किया।

… जब प्रत्याशी ने प्रचार-प्रसार के नाम पर उठा दिए अपने खाली हाथ

क्षेत्रीय पार्टी ने शहर सीट पर एक नया प्रयोग करते हुए सामान्य सीट पर लीक से हटकर अपना प्रत्याशी उतारा है। उन्हें इस उम्मीद से टिकट दिया गया था कि वह मौजूदा विधायक से लोगों की नाराजगी का फायदा उठाते हुए अच्छा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि मुस्लिमों की पसंद इस पार्टी में टिकट के लिए कई लोग कतार में लगे हुए थे, लेकिन जिलाध्यक्ष की सिफारिश पर उन्हें पैराशूट से उम्मीदवार बना दिया। वैसे वह कभी पार्टी कार्यक्रमों में नजर नहीं आए। अब चूंकि मामला चुनाव का है तो धन भी खर्च करना पड़ेगा, लेकिन प्रत्याशी महोदय ने शुक्रवार को अपने हाथ खड़े करते हुए प्रचार के माध्यम करने वाले प्रतिनिधियों से माफी मांगते हुए बिना खर्च के ही चुनाव लड़ाने का अनुरोध किया।

…दरबारी लाल

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