उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वार के बाद पलटवार शुरू हो गया है। सबसे पहले टीपू भइया ने मोदी- योगी की पार्टी पर जो वार किये वह भाजपा को लंबे समय तक टीस देते रहेंगे। एक के बाद एक वार से भाजपा को जख्म तो मिले ही साथ ही जख्मों को कुरेदा जाता रहा। इस मार का असर यह रहा कि भाजपा के उन विधायकों के टिकट भी बच गये जिनके टिकट कटने तय माने जा रहे थे। इससे भाजपा बैकफुट पर बल्लेबाजी करने को विवश हो गई थी। लेकिन जैसी कि उम्मीद थी भाजपा ने भी रह रह कर पलटवार शुरू कर दिया। पलटवार के लिये टीपू भइया के घर में भी सैंध लगा दी गई। नेताजी के समधी के बाद निशाना प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा बनी। अब स्थिति यह हो गई है कि घर को संभालने के लिए आखिरकार चाचा शिवपाल को मैदान में उतरना पड़ा। लगता है कि वार- पलटवार को यह खेल अंतिम चरण तक जारी रहेगा। हालांकि टीपू भइया ने अब कह कर वार करने पर विराम लगा दिया कि भाजपा विधायकों के लिए सपा के दरवाजे अब बंद हो गये हैं। लेकिन उन्होंने जो सिलसिला शुरू किया उसका जवाब तो जारी रहेगा। लेकिन इस वार- पलटवार जरिये पाला बदलने वाले कितने समय तक इन दलों में टिके रह पायेंगे यह सबसे बड़ा सवाल है। जो इस समय पाला बदल रहे हैं वे आवश्यक नहीं है कि उसी दल में रूके रहें। दल बदलू तो दल बदलू है उनके लिए अपना लाभ सबसे बड़ा है। इतना अवश्य है कि इसके जरिये माहौल अवश्य बनाया जा रहा है।