गुरुवार को सपा- रालोद गठबंधन ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रत्याशियों की सूची जारी की। लेकिन सूची में मात्र 29 नाम है। अनेक सीटों को खाली छोड़ा गया है। इसी प्रकार बसपा भी अभी रूको और देखो की रणनीति पर चल रही है। इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण जो पता चल रहा है गठबंधन के साथ ही बसपा की नजर उन प्रत्याशियों पर जिनकी अपने क्षेत्र में पकड़ होने के साथ ही छवि भी अच्छी है। एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि गठबंधन के साथ ही बसपा के पास सभी सीटों पर दावेदारों की लंबी कतार है। लेकिन पार्टी नेतृत्व इन कतारों में लगे दावेदारों से संतुष्ट नहीं है। इसका अनुमान भाजपा नेतृत्व को भी है। यहीं कारण है भाजपा इन सीटों पर विपक्षी दलों को बढ़त नहीं लेने देगी। लेकिन जिन विधायकों की स्थिति खराब है उनके संबंध में भाजपा नेतृत्व गंभीर है। यदि फिर से भाजपा नेतृत्व मंथन करना चाहेगा तो निश्चित ही विचार करेगा। इस स्थिति में सूची जारी करने में एक- दो दिन की देरी हो सकती है। भाजपा जितनी देरी करेगी, शायद ही उतनी देरी विपक्षी दलों की सूची में भी हो सकती है। बहरहाल देखो और इंतजार करो की स्थिति सभी के सामने है।