उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की सूची पर नजर
पहले के मुकाबले अब कम कट सकते हैं विधायकों के टिकट
सांसदों को प्रत्याशी चयन में नहीं मिल रहा महत्व
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। कांग्रेस की भारी भरकम पहली सूची के बाद सपा- रालोद गठबंधन की 29 प्रत्याशियों एवं बसपा प्रत्याशियों की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी पर प्रत्याशी जल्द घोषित करने का दबाव बढ़ गया है। सूत्रों के अनुसार भाजपा मकर सक्रांति के दिन (आज) अथवा शनिवार को पहले चरण के प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी।
बता दें कि सबसे पहले कांग्रेस महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने 125 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। इसके बाद देर शाम सपा- रालोद गठबंधन की 29 प्रत्याशियों की पहली सूची रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने घोषित कर दी। इस सूची में गाजियाबाद जिले की मोदीनगर एवं लोनी सीट के साथ ही साहिबाबाद सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है। इसके साथ ही बसपा भी अपने प्रत्याशी लगातार घोषित कर रही है। ऐसे में अब भाजपा की सूची पर सभी की नजर लग गई है। सूत्रों के अनुसार सपा- रालोद गठबंधन एवं साथ ही बसपा भी भाजपा की सूची जारी होने का इंतजार कर रहे हैं।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो पहले वर्तमान विधायकों के टिकट बड़ी संख्या में काटे जाने थे। लेकिन अब कम संख्या में विधायकों के टिकट काटे जायेंगे। इसके पीछे पार्टी छोड़ने वालों की लगातार आ रही खबरों से पार्टी को नुकसान को भी देखा जा रहा है। बावजूद इसके टिकट दावेदार हार मानने को तैयार नहीं है। सूत्रों का दावा है कि प्रत्याशी चयन में भाजपा नेतृत्व अपने ही सांसदों को महत्व कम दे रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि अधिकांश जिलों में सांसदों एवं विधायकों में तालमेल की कमी का होना है। अधिकांश सांसद उन विधायकों के टिकट कटवाने को आतुर है जिनके साथ उनका 3-6 का आंकड़ा है। कई जिलों में तो स्थिति यह है कि सांसदों का अपने सभी विधायकों से तालमेल नहीं है।
नये सिरे से विधायकों का हुआ है सर्वे
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से विधायकों का सर्वे करवा रहा है। जिले की कुछ सीटों का सर्वे देर रात ही दिल्ली पहुंच गया है। यदि पार्टी नेतृत्व चाहेगा तो इस सर्वे के आधार पर कुछ टिकट काट सकता है। इस सर्वे की भनक शायद ही किसी को हो। यदि इस सर्वे को आधार बनाकर चर्चा होती है तो उन विधायकों के टिकट अवश्य कट सकते हैं। टिकट वितरण में पार्टी अपने बड़े नेताओं खासकर उत्तर प्रदेश के नेताओं को अवश्य तवज्जो दे रहा है। इतना अवश्य है कि केंद्रीय नेतृत्व के सामने संगठन एवं सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है यह भी उजागर हो गया है।