Dainik Athah

मंथन:- दल-बदल: मनोवैज्ञानिक बढ़त का खेल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। शुक्रवार से पहले चरण के लिए नामांकन शुरू हो जायेंगे। पहले चरण के मतदान से पहले ही प्रमुख राजनीतिक दलों में शह और मात का खेल शुरू हो चुका है। यह खेल तो लंबे समय से चल रहा है। लेकिन असल खेल मंगल से शुरू हुआ है। वह भी भाजपा के स्वामी के जरिये। इस झटके के बाद भाजपा पलटवार करती इससे पहले ही सपा ने मंत्री दारा सिंह चौहान के जरिये दूसरा झटका भाजपा को दे दिया। लेकिन इसके बाद भाजपा ने सपा के एक विधायक एवं एक पूर्व विधायक (दोनों यादव) के जरिये सपा एवं कांग्रेस विधायक को पार्टी में शामिल कर दोनों पार्टियों को जवाब दिया। सूत्रों की मानें तो इस समय सपा एवं भाजपा में एक- दूसरे के विधायक अथवा बड़ा नेता तोड़ने की होड़ सी मची है। यह खेल लंबा चल सकता है। इस प्रकार के दल- बदल के जरिये जहां झटका देने का प्लान है तो इसके साथ ही मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने का खेल भी है। जिस पार्टी के अधिक एवं बड़े नेता टूट कर जिस दल में जायेंगे उस दल को बढ़त मिलेगी। इसके साथ ही जिस दल से जायेंगे उसकी चुनावी हवा भी खराब होगी। सीधा अर्थ यह है कि एक बार जिसके पक्ष में हवा निकल गई वह दोबारा नहीं बनती, जिसकी हवा बन गई उसे अंत तक हवा को बनाये रखना होता है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में सपा- भाजपा में कौन सा दल मनोवैज्ञानिक बढ़त ले पाता है। यह दोनों दलों के लिए चुनौती है। यह खेल शुरू हुआ है तो लंबे समय तक चलेगा।

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