प्रचार ना संपर्क फिर भी कर दी क्षेत्र में विधायक की दावेदारी…
यहां सभी पार्टियां सभी को सम्मान, सभी को मान देने की बात करती हैं और जातीय आधार पर चुनाव ना लड़ने की चर्चा की जाती है। किंतु कुछ विधानसभाओं में जाति विशेष के लोगों ने खुद ब खुद ही सीटों को आरक्षित कर रखा है। ऐसा ही नजारा गाजियाबाद की एक हाईप्रोफाइल सीट पर देखने को मिला। यहां चुनाव घोषणा होते ही अचानक जाति विशेष के पूर्व एमएलसी ने फूल वाली पार्टी में दावेदारी कर दी। जहां राजनीतिक क्षेत्र के लोग अचानक हुई इस दावेदारी से स्तब्ध थे, वही पार्टी के पदाधिकारियों के लिए भी चौकाने वाली घटना थी। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था फिर भी सत्ता में पकड़ रखने के कारण उनकी दावेदारी को आला अधिकारियों तक पहुंचाया भी गया, किंतु साथ ही साथ यह सवाल भी दावेदार से किए गए कि अब तक कहां थे। ना कोई सक्रियता, ना कोई क्षेत्र में प्रचार-प्रसार और अचानक से दावेदारी कर दी। शायद दावेदार को इसी पल का इंतजार था इसलिए वक्त आने पर दावेदारी ठोक ही दी, इनके लिए तो यही कहा जाएगा कि ‘हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा ही चोखा’।
… विधायक जी, यह पब्लिक है सब जानती है
जनता के क्षेत्र में दरबारी लाल से एक सवाल पूछा कि साल में विधायक को विकास कार्यों के लिए कितना बजट मिलता है। इस पर दरबारी लाल ने भी बड़ी सादगी से जवाब दिया कि 1 साल में विधायक को विकास कार्य के लिए 3 करोड रुपए का बजट शासन की ओर से दिया जाता है। तभी अगला सवाल दाग दिया गया कि फिर एक विधानसभा में हर दूसरे दिन फायर ब्रांड विधायक जी ने दो करोड़, डेढ़ करोड़ और 1-1 करोड़ के विकास कार्य के शिलान्यास कैसे कर दिए। इस सवाल पर दरबारी लाल भी सोचने के लिए मजबूर हो गया। तब दरबारी लाल ने फूल वाली पार्टी के एक नेता से संपर्क किया तब पता चला कि विधायक जी ने जनता की नजर में नंबर बढ़ाने के लिए बिना जोड़ गुणा के किए ही लफ्फाजी आंकड़े जारी किए है लेकिन इन सवालों से साफ हो गया कि पब्लिक है, सब जानती है।