बुधवार का दिन उत्तर प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधियों के लिए ऐतिहासिक रहा। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वह काम किया है जो पंचायतों के लिए मिल का पत्थर साबित होगी। पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मेलन में जहां मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायत सदस्यों को ग्राम पंचायत बैठक के लिए प्रति बैठक मानदेय निर्धारित किया, वहीं ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक के मानदेय में वृद्धि की है। इतना ही नहीं ग्राम प्रधानों के वित्तीय अधिकारों में भी बढ़ोत्तरी की गई है। पंचायत प्रतिनिधियों की मृत्यु पर उनके आश्रितों को सहायता देने की घोषणा भी बड़ा कदम है। आजादी के बाद ग्राम पंचायत सदस्यों को पहली बार शायद इतना सम्मान मिला है। इसके साथ ही निर्माण कार्यों की एमबी एवं एस्टीमेट के लिए एक- दो विभागों पर निर्भरता भी उन्होंने समाप्त कर दी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का यह कदम मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इसका लाभ निश्चित रूप से भाजपा को विधानसभा चुनाव में तो मिलेगा, लेकिन वित्तीय अधिकार बढ़ने के बाद अनियमितता पर भी ध्यान देना होगा। कहीं ऐसा न हो कि सबकुछ ये प्रधान चौपट कर दें। इसके साथ ही मुसीबत बढ़ेगी तो ग्राम पंचायत सचिवों की। उन्हें भी हर कदम सोच समझ कर उठाना होगा।