… अध्यक्ष से लेकर मंत्री- सांसद तक दे दिये, अब क्या चाहिये
चुनाव की घंटी बजने के साथ ही जातीय संगठन ऐसे सक्रिय हो जाते हैं जैसे जीत- हार वे ही तय करेंगे। ऐसे ही भामाशाह कहे जाने वालों ने भी चुनाव की आहट के साथ ही बड़ा सम्मेलन करने की घोषणा कर दी। बैठकों का दौर शुरू हो गया है। सम्मेलन भी जल्द ही होने वाला है। इसी को लेकर वैश्य समाज के एक जन प्रतिनिधि वह भी चुने हुए कहते हैं कि भाजपा ने वैश्य समाज को पार्टी का जिलाध्यक्ष पद, एक विधायक, एमएलसी, राज्यसभा सांसद एवं मंत्री पद तक दे दिया। अब ये क्यों चिल्लपों मचा रहे हैं। अब क्या बाकि रह गया जो इन्हें दिया जाये। अब तो सीएम-पीएम के पद ही रह गये हैं। यह कह कर जन प्रतिनिधि अपने ही समाज के नेताओं को लेकर खफा से नजर आये। उनकी बात सुनकर वहां बैठे अधिकांश लोग कहने लगे कह तो ठीक रहे हैं। लेकिन समाज के ठेकेदारों को कौन समझाये।
जब गठबंधन का ही सहारा है तो…
राजनीतिक गलियारों में विधानसभा चुनाव के नजदीक आने पर सरगर्मियों का दौर चल रहा है, एक दल से दूसरे दल में लोग आ जा रहे हैं। वही राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले ही गठबंधन कर सत्ता में आने की तैयारी में भी लगी है। ऐसे में एक दल ऐसा भी है जिसको गठबंधन की दरकार है इसका पता उनके नेताओं की बातचीत से चलता है। जहां राजनीतिक दल संगठनों को मजबूत करने में और चुनाव की तैयारी में लगे हैं ऐसे में यह दल गठबंधन की दुहाई दे रहा है और किसी बड़े राजनीतिक दल से गठबंधन जल्द होगा ऐसी बातें जिला- महानगर अध्यक्ष द्वारा भी कही जा रही है, भले ही चाचा की पार्टी में मौका संगठन विस्तार का हो जिसमें 51 लोगों को भले ही जिले में पदाधिकारी बना दिया हो, किंतु बातचीत के दौरान लोगों को विश्वास भी दिला रहे हैं कि बड़े दल से गठबंधन होगा और हम सत्ता में भागीदार बनेंगे। जब गठबंधन का ही सहारा है तो ऐसे नेताओं पर जनता का विश्वास कैसे होगा।