देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन से अपने संसदीय क्षेत्र काशी में हैं। इस दौरान जहां काशी विश्वनाथ से लेकर गंगा तक कॉरिडोर का का लोकार्पण किया गया, वहीं दूसरी तरफ स्वतंत्रता के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि प्रधानमंत्री के साथ देश के 12 राज्यों के मुख्यमंत्री की बैठक भी काशी में हुई। प्रधानमंत्री काशी को पूरी तरह बदलने को आतुर है। आधी रात को प्रधानमंत्री अपने साथ मुख्यमंत्री को लेकर काशी भ्रमण पर निकले। इसका उद्देश्य यह देखना था कि उनकी मंशा के अनुरूप काशी का कितना विकास हुआ। जिस प्रकार उन्होंने मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल से कई मिनट तक चौराहे पर खड़े होकर बात की उसका उद्देश्य भी यहीं था। इतना ही नहीं रेलवे स्टेशन पर भी मोदी अचानक पहुंच गये। काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही हिंदू धर्म स्थल काशी के विकास का संदेश वे पूरे विश्व के साथ ही भारत वर्ष में पहुंचाना चाहते हैं। दो दिन में यह संदेश पहुंचाने में मोदी सफल भी रहे हैं। इसका लाभ भाजपा को भी जल्द होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा इसमें कोई शक नजर नहीं आता। काशी का संदेश पांच राज्यों के मतदाताओं तक पहुंचने का अर्थ समझने में शायद किसी को परेशानी भी नहीं हो। यहीं संदेश भाजपा की नैया भी पार लगा सकता है। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पाठशाला का उद्देश्य भी यहीं था। मोदी के नक्शे कदम पर चलते हुए ही योगी भी उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक भी काशी में करने की तैयारी में है। सीधा संदेश मतदाताओं तक पहुंचाकर ध्रुवीकरण है।