Dainik Athah

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी की सनातन धर्म में वापसी

डासना देवी मंदिर के महंत नरसिंहानंद ने हिंदू धर्म अपनाने का कराया संस्कार

वसीम रिजवी को मिला जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का नया नाम

अथाह संवाददाता,
गाजियाबाद। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सोमवार को डासना के देवी मंदिर में इस्लाम को अलविदा कहकर हिंदू धर्म अपना लिया है। महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सनातन धर्म में उनकी वापसी करवाते हुए उन्होंने अपना नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रखा। इस मौके पर वसीम रिजवी ने कहा कि मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को इनाम बढ़ा दिया जाता है, ऐसे में मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं। हिंदू धर्म अपनाने के बाद उन्होंने खुशी जताई है।

देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में स्थित शिव शक्ति धाम डसना के पीठाधीश्वर महंत नरसिंहानंद गिरि ने वसीम रिजवी का डासना मंदिर में ही विधि-विधान से हिंदू धर्म अपनाने का संस्कार किया। बताया जा रहा है कि धर्म परिवर्तन के बाद वह त्यागी बिरादरी से जुड़ गए हैं और उनका नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी होगा। हाल ही में वसीम रिजवी डासना मंदिर में महंत नरसिंहानंद गिरि से मिले थे और उन्होंने धर्म से जुड़ी विभिन्न बातों पर चर्चा की थी।

आपको बता दें कि पिछले महीने 12 नवंबर को वसीम रिजवी ने अपनी किताब ‘मोहम्मद’ के विमोचन के बाद कहा था कि यदि उनकी हत्या कर दी जाती है, तो उनका अंतिम संस्कार सनातन धर्म के विधि विधान से किया जाए। अंतिम संस्कार का अधिकार महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरि को देते हुए कहा था कि यदि जिहादियों द्वारा उनकी हत्या होती है तो इस्लामिक रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार न करके उनका शव महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी को दिया जाए और स्वामी जी सनातन रीति-रिवाजों से उनका अंतिम संस्कार करें। उनकी बात पर महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरि ने भी कहा था कि अगर इस्लाम के जिहादी वसीम रिज़वी की हत्या करते हैं तो वो स्वयं हथियार उठाकर इसका प्रतिशोध लेंगे।

वसीम रिजवी का कहना है कि कट्टरपंथी विचार रखने वाले लोगों से उन्हें लगातार धमकी मिल रही थी। कट्टरपंथी उनकी गर्दन काटना चाहते हैं। ऐसा सुप्रीम कोर्ट में कुरान की 26 आयतों के खिलाफ याचिका दायर के बाद हुआ था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कुरान की आयतों को हटाने के लिए अर्जी दी थी। इस पर कई अल्पसंख्यक संगठनों ने उनका विरोध किया था। इसके बाद वसीम रिजवी की किताब को लेकर भी काफी विवाद हुआ था, इसमें कुछ चौंकाने वाली बातें हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *