… यदि खरगोश बन जाओगी तो अनेक कछुए पीछा करने में लगे हैं
मोदीनगर में फूल वाली पार्टी की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होने का मौका था। इस मौके पर बागपत के चौधरी (सांसद) का बोलने का मौका आया तो उन्होंने विधायक जी के काम की तारीफ की खूब सराहना की। इसी दौरान वे अन्य दावेदारों को लेकर भी चुटकी लेने से बाज नहीं आये। कहा, चाल तेज है ऐसे ही चलती रहो। इसके साथ ही उन्होंने अन्य दावेदारों को कछुआ बताते हुए कहा चुनाव के समय कई कछुए भी पीछे लगे हैं। कहीं ऐसा न हो जाये कि तुम खरगोश बन जाओ और सुस्ताने के लिए रूको तो कोई कछुआ आगे निकल जाये। बात दरबारी लाल की समझ में आ गई कि पूरा मामला टिकट को लेकर चल रहा है।
…ऐ भाई ये जुबान है, जरा सोच कर चलाएं
ये जुबान ही किसी आदमी को अपना बना देती है और यही दोस्त को दुश्मन बना देती है, इसलिए दरबारी लाल की सलाह है कि इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने शब्दों पर जरूर विचार करें। ऐसा इसलिए क्योंकि एक मामला इन दिनों फूल वाली पार्टी में चचार्ओं में है। भाजपा के एक मंडल अध्यक्ष और क्षेत्रीय चुनाव समिति के एक पदाधिकारी के बीच कुछ दिनों पहले तक दांत काटी रोटी थी। यूं कहे तो गलत नहीं होगा कि जाम भी साथ में ही छलकते थे। चूंकि जनाब मंडल अध्यक्ष के मंडल के प्रभारी भी थे, इसलिए दोनों की कैमिस्ट्री आप खुद ही समझ सकते है। लेकिन पार्टी ने क्षेत्रीय चुनाव समिति के पदाधिकारी महोदय का मंडल बदल दिया। फिर पता नहीं एकाएक क्या हुआ कि अब दोनों एक दूसरे का चेहरा देखना भी पसंद नहीं कर रहे। जब दरबारी लाल को इस बात का पता लगा तो कारण जानने का प्रयास किया। तब दरबारी लाल को पता लगा कि जनाब के बड़बोले पन और बिना वजह टीका-टिप्पणी की वजह से अब हर कार्यकर्ता ही मंडल प्रभारी महोदय से कन्नी काटने लगा है।
पार्टी में पढ़ी लिखी महिलाएं बहुत हैं…
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों की संख्या प्रत्येक विधानसभा में बढ़ती जा रही है। दावेदार अपनी दावेदारी पेश करने के लिए जहां जगह-जगह हार्डिंग लगा रहे हैं वही पार्टी के वरिष्ठ लोगों से मिलने और दावेदारी का सिलसिला भी चल रहा है। ऐसे ही फूल वाली पार्टी में एक महिला दावेदार ने अपनी दावेदारी पेश करने के लिए वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया। मुलाकात ना हो पाने पर बात फोन से हुई। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी ने महिला दावेदार से पूछ लिया कि उनकी पार्टी में क्या भूमिका है, उन्हें टिकट क्यों दिया जाए ? यही नहीं उन्होंने संगठन से जुड़े क्षेत्र के लोगों के बारे में जानकारी ली तो महिला दावेदार न तो मंडल अध्यक्षों को जानती थी और ना ही पार्टी में कोई विशेष योगदान रहा था। हां एक बात उन्होंने विशेष कही कि वह पढ़ी-लिखी हैं और सामाजिक भी इसलिए उन्हें टिकट दिया जाए। वरिष्ठ पदाधिकारी ने महिला दावेदार को निराश करते हुए कहा पढ़ी-लिखी महिलाएं बहुत है पार्टी में, फिर आप ही को क्यों? कहते हुए फोन रख दिया। फिलहाल महिला कार्यकर्ता भले ही फूल वाली पार्टी में सक्रिय ना रही हो किंतु दावेदारी का सिलसिला जारी है अभी संपर्क वरिष्ठ पदाधिकारियों से भी किया जा रहा है।