मंगलवार को सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव के अमृत महोत्सव के मौके पर एक पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। अमृत महोत्सव कार्यक्रम पूरे धूमधाम से मनाया गया। इस कार्यक्रम में सपा संरक्षक नेताजी के साथ ही सपा प्रमुख, कवि कुमार विश्वास, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, राजद के सांसद मनोज झा समेत अनेक नामचीन लोग जुटे। इस दौरान प्रोफेसर चाचा की शान में अखिलेश ने कसीदे पढ़े। दूसरी तरफ एक सगे चाचा है जो पूरे प्रदेश की खाक छानते घूम रहे हैं। चाचा शिवपाल की भतीजे से ऐसी बिगड़ी कि न तो भतीजा अब तक दोनों दलों के विलय की बात कर रहा है और न ही गठबंधन की। चाचा के सब्र का घड़ा भी धीरे धीरे भरने लगा है। यह सर्व विदित है कि चाचा शिवपाल के मुकाबले अखिलेश चाचा राम गोपाल को अधिक महत्व देते हैं। लेकिन जिस प्रकार अमृत महोत्सव का आयोजन हुआ वह आग में घी डालने का ही काम करेगा। एक तरफ सपा प्रमुख अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो दूसरी तरफ रालोद मुखिया से वार्ता की मेज पर बात कर रहे हैं। अखिलेश सभी से बात कर रहे हैं, छोड़ चाचा शिवपाल के। राजधानी के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी जोरों से चल पड़ी है कि अब चाचा लंबा इंतजार नहीं करेंगे। वे सम्मेलन करने के साथ ही चुनाव के मैदान में कूदेंगे। इसके साथ ही उनके निशाने पर भाजपा से ज्यादा भतीजे के रहने की संभावना है। नुकसान भी भतीजे की साइकिल को ही पहुंचायेंगे। लगता है अखिलेश अपने चाचा के साथ ही चचेरे भाई को थकाने के साथ ही घुटनों पर लाने के मूड में है। लेकिन इसकी संभावना कम ही नजर आती है। लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है। देखिये आगे क्या होता है।