उत्तर प्रदेश में भाजपा विरोध का झंडा इस समय समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के हाथ में है। लेकिन हालात चीख चीख कर बयां कर रहे हैं कि इस झंडे में छेद हो सकता है तो वह भतीजे द्वारा लगातार की जा रही चाचा की अनदेखी से।
सोमवार को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का जन्म दिन था। इस दिन के ऊपर भाजपा समेत पूरे प्रदेश की निगाह लगी हुई थी। कारण कि इसी दिन सपा- रालोद में सीटों के बंटवारे की घोषणा होने के साथ ही गठबंधन भी धरातल पर उतरना था। लेकिन सीटों को लेकर फंसे पेंच के कारण यह नहीं हो सका। इसके साथ ही इसी दिन उम्मीद थी कि चाचा- भतीजे के बीच की दूरियां भी समाप्त हो जायेगी।
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। जबकि चाचा- भतीजे दोनों के बयान जिस प्रकार आ रहे थे उससे उम्मीद बंधी थी कि शायद इसी दिन का इंतजार हो। यह दिन भी गुजर गया। इसके साथ ही चाचा ने अल्टीमेटम भी जारी कर दिया। कह दिया कि एक सप्ताह में यदि गठबंधन अथवा विलय पर निर्णय नहीं होता है तो प्रदेश की राजधानी में बड़ा सम्मेलन कर अपना रास्ता तय करेंगे।
इससे यह साबित होता है कि चाचा अब लंबा इंतजार करने के मूड में नहीं है। जबकि लगता है कि भतीजा, चाचा को थका देने के मूड में है जिससे अखिलेश के सामने कोई शर्त रखने लायक चाचा बचे ही नहीं। लेकिन चाचा के बयान ने बता दिया कि नेताजी ने पढ़ाई के साथ ही पहलवानी भी सिखाई है। अब देखते हैं कि आगे आने वाले समय में क्या होगा। यह इसी माह साफ हो जायेगा।