Dainik Athah

मंथन:… कहीं यह तेंदुआ पालतू तो नहीं

गाजियाबाद में एक बार फिर तेंदुए का आतंक उत्पन्न हो गया है। यह तेंदुआ राजनगर के आसपास के क्षेत्रों में देखा गया है। पिछले वर्ष की भांति तेंदुआ एक बार फिर से सक्रिय हो गया है। जैसा कि पिछले वर्ष हुआ था वैसा ही इस बार भी हो रहा वन विभाग के अधिकारी लोगों को सचेत करने तक सीमित है। वन विभाग ने गश्त भी बढ़ा दी है।

इस मामले में पुलिस व प्रशासन ने भी सजगता की एडवाइजरी जारी की है। ये केवल एडवाइजरी ही जारी करते हैं। पिछले वर्ष भी एडवाइजरी ही जारी हुई थी। लेकिन दोनों वर्षों की घटनाओं पर नजर डालें तो इस तेंदुए ने गाजियाबाद अथवा आसपास के क्षेत्रों में किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। इसके चलते एक चर्चा शहर में आम हो गई है कि कहीं यह तेंदुआ पालतू तो नहीं है। पिछले वर्ष दो दिन अलग- अलग क्षेत्रों में नजर आने के बाद तेंदुआ गायब हो गया था।

वह कहां से आया था एवं कहां गया इसके संबंध में विभाग कभी कुछ नहीं बता पाया। इस बार भी ठीक वैसी ही स्थिति है। तेंदुए के देखे जाने के बाद वन विभाग के लोग सक्रिय हुए हैं। लोगों को घरों से बाहर कम निकलने एवं साथ ही घर के बाहर पालतू कुत्ता बांधने की सलाह दी गई है, लेकिन ढूंढने का प्रयास वे भी नहीं कर रहे।

कोई यह नहीं बता रहा कि आखिर गाजियाबाद शहर के बीचों बीच तेंदुआ कहां से आ गया। दोनों वर्षों की स्थिति देखने के बाद ही आम लोगों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि तेंदुआ पालतू है। एक बिजली विभाग के अधिकारी ने फोन कर इस मुद्दे पर चर्चा की और साथ ही अपने मंथन से यह निचोड़ निकाला कि तेंदुआ पालतू हो सकता है।

लेकिन ऐसा कौन शख्श है जो तेंदुआ पाल रहा है इसका खुलासा होना भी आवश्यक है। यदि विभाग खुलासा नहीं कर पाया तो उसकी कार्यप्रणाली वैसे ही सवालों के घेरे में रहती है इस बार तो पूरा विभाग ही सवालों के दायरे में होगा।

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