Dainik Athah

राग दरबारी

… इसका मतलब पक्के निशानेबाज पुलिस वाले

पुलिस जो कर दे और जो कह दे, वह सब कम है। दरबारी लाल को इसका एहसास लोनी में हुई मुठभेड़ के बाद हुआ। दरअसल पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ का दावा किया गया। पुलिस की ओर से 10 राउंड फायर किए गए जिनमें से सात राउंड बदमाशों के पैर में पिंडली को भेदते हुए निकल गए। पुलिस के तीन राउंड खाली चले गए। बदमाशों की तरफ से सात राउंड गोली चली जिनमें से केवल एक गोली पुलिस जीप के फ्रंट शीशे को चीरती हुई निकल गई। ऐसा नहीं है कि यह कारनामा नहीं हो सकता। लेकिन आश्चर्य इस बात पर है कि पुलिस के कहने पर गोली 7 लोगों को एक ही जगह पर लगी और इधर उधर भी नहीं भटकी। अब यह कारनामा तो गाजियाबाद पुलिस ही कर सकती है और किसी के बस की बात तो नहीं, क्योंकि अब तक जितनी भी मुठभेड़ पुलिस के साथ हुई है उनमें बदमाशों को नियत स्थान पर गोली लगी है। इससे तो यह साफ है कि गाजियाबाद के पुलिस वाले पक्के निशानेबाज हैं। शायद उन्होंने बचपन में कंचे ज्यादा ही खेले हैं।

… बड़े बड़े नाम क्यों नहीं जुटा सके समाज को

पिछले दिनों भामाशाह कहे जाने वाली बिरादरी का महासम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में समाज के एक मंत्री के साथ ही राज्यसभा सदस्य भी अतिथि थे। लेकिन कुछ समय पहले एमएलसी बनाये गये नेताजी इससे दूर थे। कार्यक्रम को लेकर खूब चर्चाएं हुई, भीड़ के दावे भी हुए, लेकिन जब आयोजन हुआ तो सभी दावे टांय टांय फिस्स हो गये। यह विफलता किसकी है इसको लेकर भी भामाशाहों में जंग छिड़ी है। इसी समाज से जुड़े लोगों ने इसका दोष आयोजकों पर मढ़ दिया। लेकिन दरबारी लाल को पता चला है कि आयोजकों एवं अतिथियों को लेकर समाज के लोगों में नाराजगी है। खासकर इसलिए कि ये केवल बड़े लोग हैं। मध्यम अथवा नीचे वालों से इनका कोई जुड़ाव नहीं। यहीं कारण है कि इन्हें तारें दिखा दिये गये। जबकि समाज के हर कार्यक्रम में भीड़ जुटती है।

थाड़े-थाड़े बनाए होते तो आवाज निकलती

महानगर में एक धार्मिक रथ यात्रा के दौरान भाजपा ने यात्रा का इंतजार मोहन नगर मंदिर में चल रहा था और अतिथियों का संबोधन भी साथ-साथ हो रहा था। इस दौरान संबोधन के लिए एक वरिष्ठ नेता एवं एमएलसी को बुलाया गया और माइक से आवाज कम सुनाई दी। इस पर भाजपा के एक पार्षद ने तंज कसते हुए कह दिया कि…’थाड़े-थाड़े बनाए होते तो आवाज निकलती’ ऐसे बनाएं हैं तो आवाज कहां से निकले, यह बात सुनते ही आसपास बैठे सभी पार्टी कार्यकर्ता हंस पड़ते हैं। मामला यह था कि माइक की आवाज खराब थी और तंज कस दिया नेताजी पर।

दरबारी लाल

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