बृहस्पतिवार का दिन उत्तर प्रदेश एवं गाजियाबाद जिले के लिए खास था। इस दिन 108 वर्ष चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा को केंद्र सरकार ने कनाडा से मंगवाकर उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपा। मां अन्नपूर्णा की यात्रा (गाजियाबाद से लेकर वाराणसी तक) के सफर को भाजपा ने विशेष बनाने की तैयारी की थी। इसके लिए योजना भी प्रदेश स्तर से बनाई गई। भाजपा की योजना इस पूरी यात्रा के जरिये पश्चिम से लेकर पूरब तक को साधना था। यात्रा के स्वागत में सभी जन प्रतिनिधि जुटे, इसके साथ ही कार्यकर्ता भी जुटे। लेकिन योजना बनाने वाले चूक गये। इस यात्रा से आम जन मानस को जोड़ने में भाजपा सफल नहीं रही।
हालांकि मां अन्नपूर्णा की यात्रा के बजाय किसी बड़े नेता का कार्यक्रम होता तो यह कहने में कोई संकोच नहीं कि संगठन एवं जन प्रतिनिधि पूरी ताकत लगा देते। गाजियाबाद में मुख्य कार्यक्रम मोहननगर मंदिर में रखा गया था। वहां पर स्थानाभाव रहता है। यात्रा घंटाघर होते हुए गौतमबुद्धनगर जिले के लिए रवाना हुई। यदि भाजपा के स्थानीय नेता एवं संगठन चाहते तो घंटाघर रामलीला मैदान में बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर मां अन्नपूर्णा के आगमन का पूरा लाभ लिया जा सकता था। लेकिन योजना में कहीं न कहीं चूक तो हुई है। अलग- अलग स्थानों पर स्वागत कार्यक्रम तो रखे गये। लेकिन …।
अब चर्चा इसको लेकर है कि हर बड़ा कार्यक्रम अथवा स्वागत साहिबाबाद क्षेत्र में ही क्यों। अब इसका जवाब तो संगठन दे सकता है। लगता है भाजपा ने चुनाव से पूर्व हाथ आया एक बड़ा मौका गंवा दिया।