मंगलवार को लोकसभा एवं विधानसभा उप चुनाव के परिणाम आये। परिणाम मिलेजुले रहे। लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की मंशा के अनुरूप नहीं रहे। भाजपा को सबसे अधिक राहत मध्यप्रदेश, आसाम एवं बिहार में मिली। असम में हेमंत बिस्व शर्मा तो मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व पर मुहर लगी है। राजस्थान में अशोक गहलौत उप चुनाव के बाद पहले से ज्यादा ताकतवर होंगे। लेकिन हिमाचल प्रदेश में जो झटका लगा है उसकी गंूज दूर तलक सुनाई देगी। देव भूमि कहे जाने वाले इस प्रदेश में भाजपा चारों खाने चित्त हो गई। यहां पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ ही प्रदेश नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिये हैं। हरियाणा में भी भाजपा गठबंधन खेत रहा तथा इनेलो के हाथों सीट चली गई। इसके बाद अभय चौटाला मजबूत होंगे। बंगाल में उम्मीदों के अनुरूप दीदी का खेला भी जारी है। लेकिन जिस प्रकार के परिणाम आये हैं वे कहीं न कहीं तेल की बढ़ती कीमतों की तरफ भी इशारा कर रहे हैं। चाहे पेट्रोलियम पदार्थ हो अथवा खाद्य तेल की महंगाई ने जनता की जेब पर जिस प्रकार डाला है उसका असर भी चुनावों पर हुआ है। सीधे शब्दों में कहा जाये तो तेल की चिकनाई में भाजपा फिसलने लगी है। हालांकि भाजपा के समर्थक इस तथ्य को स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन यह हकीकत है जो अब सामने आती जा रही है। यदि तेल पर अंकुश नहीं लगा तो फिर इसकी चिकनाई में कहीं भाजपा ज्यादा न फिसल जाये इसका ध्यान रखना होगा।