Dainik Athah

दिवाली को 5 दिन शेष, फुस्स हो रहे व्यापारियों के ‘पटाखे’

प्रशासन की ‘हां’ और ‘ना’ के बीच लटके हैं पटाखा कारोबारी

सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश के नाम पर पटाखा व्यापारियों को जारी नहीं किए जा रहे ग्रीन क्रैकर्स लाइसेंस

लाइसेंस पर कोई फैसला न होने से व्यापारियों का करोड़ों रुपए दांव पर लगा

प्रदीप वर्मा, गाजियाबाद। दीपावली सिर पर है, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन पटाखा कारोबारियों की समस्या का समाधान नहीं कर पाया है। पटाखा कारोबारी प्रशासन से ग्रीन क्रैकर्स यानी इको फ्रेंडली पटाखे बेचने की अनुमति मांग रहा है लेकिन प्रशासन तय नहीं कर रहा है कि कारोबारियों को लाइसेंस दे या ना दें। दीपावली को अब केवल 5 दिन शेष रहे हैं और अब भी पटाखा कारोबार अपनी दिवाली मनने का इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें अनुमति मिले और वह काम शुरू करें? प्रशासन की हां और ना के बीच फिलहाल पटाखा कारोबारियों का करोड़ों रुपए पिछले 2 सालों से फंसा पड़ा है और इस बार भी उनकी दीवाली फीकी रहने के आसार ज्यादा लग रहे हैं।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के आदेशों की वजह से काफी लम्बे समय से पटाखे कारोबार ठंडा पड़ा है। सर्वोच्च न्यायालय के 23 अक्टूबर 2018 {(2019) 13 एससीसी 523} के पैरा 32 में आदेशित किया है कि एनसीआर व इसके वायु प्रदुषण वाले क्षेत्रों में ग्रीन पटाखे दो घण्टे की निश्चित समय सीमा अवधि के भीतर क्रय-विक्रय करने की अनुमति दी जानी आवश्यक है। इसके बाद एनजीटी, दिल्ली ने भी इसी तरह के आदेश जारी किए है। दोनों न्यायालय की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है कि पटाखा कारोबारियों को ग्रीन पटाखा बेचने के लाइसेंस ने दिए जाएं। यही वजह है कि जिलाधिकारी आरके सिंह ने भी अपने आदेशों में ग्रीन क्रैकर्स पर किसी भी तरह के प्रतिबंध के आदेश नहीं दिए हैं। उन्होंने केवल प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को ही प्रतिबंधित किया है। जिलाधिकारी के आदेशों की बात करें तो उन्होंने ग्रीन क्रैकर्स को 2 घंटे की अवधि तक चलाने की अनुमति दी है और अगर इस अवधि में वायु प्रदूषण फैलता है तो इस पर प्रतिबंध लागू करने की बात कही है।

संतरी से लेकर मंत्री तक लाइसेंस के लिए फरियाद कर चुके हैं पटाखा कारोबारी

सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों से पहले गाजियाबाद में दीपावली पर करीब 200 करोड़ रुपए का आतिशबाजी का कारोबार होता था लेकिन फिलहाल आतिशबाजी के कारोबार से जुड़े व्यापारी घर बैठे हुए हैं और इस इंतजार में हैं कि प्रशासन कब उन्हें ग्रीन क्रैकर्स बेचने का लाइसेंस जारी करें। इसके लिए पटाखा कारोबारी संतरी से लेकर मंत्री तक अपनी फरियाद लेकर जा चुके हैं, लेकिन सुनवाई के नाम पर नतीजा शून्य है। इस संबंध में पटाखा कारोबारियों ने प्रदेश के राज्यमंत्री अतुल गर्ग विधायक सुनील शर्मा जिलाधकारी आरके सिंह अन्य अफसरों को ग्रीन क्रैकर्स का लाइसेंस जारी करने की गुहार लगाई है।

पटाखा चलाने की 2 घंटे की समय सीमा की वजह से पसोपेश में हैं प्रशासन

प्रशासन की मुश्किल यह है कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों के मुताबिक केवल 2 घंटे ही पटाखा चलाने की अनुमति रहेगी। ऐसे में अगर प्रदूषण बढ़ता है तो इस बीच प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करते हुए पटाखा चलाने पर भी प्रतिबंध लगाना होगा। अदालत के इसी आदेश की वजह से प्रशासन यह तय नहीं कर पा रहा है कि ग्रीन क्रैकर्स का लाइसेंस जारी किया जाए या नहीं। हालांकि अभी तक प्रशासन ने यह भी नहीं कहा है कि वह व्यापारियों को ग्रीन के कर्ज का लाइसेंस जारी नहीं करेगा जिसकी वजह से पटाखा व्यापारी प्रशासन के सामने हसरत भरी निगाहों से देख रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का एनजीटी की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है कि ग्रीन क्रैकर्स का लाइसेंस जारी नहीं किया जाए। यही वजह है की प्रशासन व्यापारियों को स्पष्ट रूप से मना भी नहीं कर पा रहा है।

प्रशासन के ढुलमुल रवैया से व्यापारी परेशान

पटाखा कारोबारी आशुतोष गुप्ता ने आरोप लगाया कि दीपावली को केवल 5 दिन का समय बचा है और प्रशासन चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत हो जाए और अंत में लाइसेंस बनाने पर अपनी सहमति दे दें। ऐसे में एक-दो दिन में व्यापारी लाइसेंस हेतु कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं कर पाएंगे और दीपावली का त्यौहार भी निकल जाएगा। लेकिन प्रशासन के ढुलमुल रवैए की वजह से व्यापारियों का करोड़ों रुपए दांव पर है, जो उन्होंने आतिशबाजी को बुक करा कर फंसा रखा है।

लाइसेंस देने पर विधिक राय ली जा रही है: एडीएम सिटी

अपर जिलाधिकारी नगर विपिन कुमार से जब ग्रीन क्रैकर्स का लाइसेंस देने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अदालती आदेश को लेकर विधिक राय ली जा रही है और जल्द ही इस पर फैसला ले लिया जाएगा। लेकिन यह फैसला कब तक होगा? इसके बारे में वह कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए।

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