Dainik Athah

महंत मंदिर का मालिक नहीं सेवक होता है: गिरिशानंद

अथाह संवाददाता,
गाजियाबाद।
दिल्ली गेट स्थित श्री दुर्गा देवी मठ मंदिर के महंत गिरीशानन्द गिरी ने कहा कि महंत संतो की एक परंपरा है जोकि मठ और मंदिरों के संचालन के लिए संतो द्वारा जिसकी नियुक्ति की जाती है, वह मंदिर का मालिक नहीं प्रमुख सेवादार होता है।

उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि श्री दुर्गा देवी मठ मंदिर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की इकाई है इसलिए संत परंपराओं के अनुकूल श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा को मंदिर में महंत नियुक्त करने अधिकार व शक्ति प्राप्त है।

उन्होंने बताया कि इस दौरान महंत परंपरा के तहत जब उनको प्रारंभ की गई तब जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरी गिरी महाराज, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्षता पति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, सभापति उमा शंकर भारती महाराज, सेक्रेटरी महंत महेश पुरी, सेक्रेटरी महंत शैलेंद्र गिरी महाराज ,श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा तथा दिल्ली संत महामंडल के महंतों ने संयुक्त रूप से पट्टा रसम करते हुए श्री दुर्गा देवी मठ मंदिर द्वारकापुरी दिल्ली गेट का महंत नियुक्त किया।

उन्होंने बताया कि देवी मंदिर के महंत परमानंद गिरी महाराज शरीर पूरा होने के बाद मंदिर समिति के लोग और संतो की मौजूदगी में मंदिर की अलमारियों को खोला गया और उसमें रखी वस्तुएं और धनराशि को सार्वजनिक रूप से दिखाते हुए रजिस्टर में लेखा-जोखा कर मंदिर के महंत के को सौंपा गया जिसमें सोने चांदी की वस्तुओं के अलावा 5 लाख 35 हजार रुपए लगभग थे तथा मंदिर के तीन बैंक खाते भी हैं।

श्री दुर्गा देवी मठ मंदिर के महंत गिरीशानंद गिरी ने कहा कि लखन गिरी ने पिछले दिनों आरोप लगाया कि मंदिर पर कब्जा किया गया है जबकि उनका कथन सरासर गलत है क्योंकि संत परंपराओं के अनुकूल ही सारे कार्य किए गए हैं और संतो के आदेश पर ही नए महंत की नियुक्ति देवी मंदिर में की गई है जबकि मंदिर की सारी संपत्ति और खजाने का लेखा-जोखा मंदिर समिति के सदस्यों एवं पुराने भक्त और संतों की मौजूदगी में किया गया उस समय 50 से 60 लोग मौजूद मंदिर में रहे जिनके हस्ताक्षर रजिस्टर पर अंकित हैं।

उन्होंने बताया कि लखन गिरी देवी मंदिर से 35 वर्ष पूर्व कहीं चले गए थे और जब से अब तक मात्र एक बार ही मंदिर में आए हैं। उन्हें कोई भी आपत्ति है तो संत समाज और श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के समक्ष जाकर अपनी बात रख सकते हैं। क्योंकि मंदिर पर कभी किसी का कब्जा नहीं होता मंदिर में महंत सेवक होता है।

इस दौरान प्रेस वार्ता में महंत विजय गिरी, साध्वी कैलाशी गिरी, महंत कार्तिकेय गिरी, स्वामी शिवानंद सरस्वती, स्वामी रमेशानंद गिरि, शिव कुमार गर्ग, यतेंद्र नागर, अजय चोपड़ा, ईश्वर सिंह, महेंद्र सिंह एडवोकेट, राहुल तंवर, सुनील नागर, कैलाश, पंडित अमल कुमार अवस्थी, पंडित विनोद शुक्ला, पंडित नरेंद्र कुमार तिवारी एवं देवी मंदिर के पदाधिकारी मौजूद रहे।

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