रथ यात्राओं के चलते बन रही है महाभारत की भूमिका
उत्तर प्रदेश में 2022 के शुरूआती दौर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों के लिए महारथी तैयार होकर रथों पर सवार भी हो गये हैं। इतना ही नहीं सेनाएं भी तैयार है। साइकिल वाले भइया इस बार साइकिल छोड़कर रथ पर सवार है तो इसका कारण यह है कि चुनाव की घोषणा से पहले साइकिल पर सवार होकर पूरे प्रदेश को नहीं मथा जा सकता।
इसके साथ ही उनके सहयोगी नल वाले चौधरी साहब उड़न खटोले से उड़ान भरना शुरू कर चुके हैं। अब चुनाव तक वे उड़नखटोले से ही सभाओं में पहुंचेंगे। चाचा भी बंशीवाले के हाथ जोड़कर रथी हो चुके हैं। उनके साथ ही उनका बेटा भी सवार है। उधर हैदराबादी औवेसी साहब भी प्रदेश को मथने में लगे हैं। यदि कोई आराम से बैठा है तो हाथी वाली बहनजी।
ब्राह्मण सम्मेलनों के बाद हाथ सुस्ता रहा है। लेकिन जिस प्रकार रथों पर सवार होकर महारथी निकले हैं उसने यह तो बता दिया कि अब चुनावों में देर नहीं है। घोषणा से पहले ही जितना अधिक प्रदेश को मथ सको उतना बेहतर है। इसके बहाने महारथी अपने सैनिकों की थाह भी लेना चाहते हैं। कहां पर कौन सैनिक कितना मजबूत यह भी पता चल जायेगा।
महारथियों के मैदान में उतरने के साथ ही सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं के हमले भी उनके ऊपर बढ़ गये हैं। अब यह तो वक्त ही बतायेगा कि इन रथों से ये महारथी प्रदेश का माहौल बदलने में कितना सफल होंगें। रथों का इंतजार हर जिले में हो रहा है।