कैबिनेट मंत्री के दल बदलने के निहितार्थ!
सोमवार का दिन उत्तराखंड के लिए चौंकाने वाला था। इतना ही नहीं खासकर भाजपा के रणनीतिकारों के लिए तो तगड़े झटके वाला था। कारण उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य का कांग्रेस में शामिल होना।
यह माना जाता है कि भाजपा का नेटवर्क मजबूत है। यदि कहीं पत्ता भी हिलता है तो उससे पहले ही केंद्र सरकार तक खबर पहुंंच जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। यशपाल आर्य जब अपने पुत्र के साथ घर वापसी कर चुके तब जाकर सरकार एवं संगठन को इसका पता चला।
अन्यथा यशपाल आर्य को पार्टी से एवं सरकार से पहले से ही रूखसत कर दिया जाता। सही मायने में तो इस मामले में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को भी भनक तक नहीं लगी। आर्य ने कांगे्रस में घर वापसी करने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दिया।
यह बात अकेले उत्तराखंड अथवा यशपाल आर्य की नहीं है। उत्तराखंड से पहले उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। तो इसी चुनावी राज्य में भी बड़े स्तर पर दल बदल हो सकता है। दल बदल की आशंका इसलिए भी ज्यादा है कि प्रदेश में भाजपा नेतृत्व 40 फीसद से अधिक विधायकों के टिकट काटने जा रहा है।
जो पार्टी में सहज महसूस नहीं कर रहे वे तो अवश्य ही नया घर तलाशेंगे, इसमें कोई शक नहीं रह जाता। अब देखना यह होगा कि उप्र में सरकार एवं संगठन का खुफिया विभाग कितना मजबूती से काम करता है।