Dainik Athah

मंथन

  • दिखावा करने के स्थान पर काम करें तो हो सकती है सफाई!

दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन पूरे देश में विशेरू रूप से स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। कहीं पर कोई सामाजिक संस्था, सरकारी महकमें, राजनीतिक दलों के पदाधिकारी- संगठन जिसे देखो वो ही हाथ में झाड़ू लेकर फोटो खिंचवाते हैं तथा मीडिया वालों को फोटो- खबर भेजकर कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। इस फोटो के खेल में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। एक संगठन ने तो बाकायदा महापौर- नगर आयुक्त से लेकर बड़े बड़े लोग हाथों में झाडूÞ लेकर सामने आये। जिस प्रकार फोटो जारी की गई उन्हें देखकर लगता है कि स्वच्छता अभियान न होकर कोई फैशन शो हो रहा हो। वह भी सामाजिक कार्य करने का बड़ा बड़ा दावा करने वाले लोग कर रहे थे। जिस प्रकार पूरे देश में स्वच्छता को लेकर दिखावा होता है, यदि फोटोग्राफी करवाने वाले इस मामले में थोड़ी भी सफाई करें वह भी सड़कों, मलिन बस्तियों, बाजारों, रेलवे स्टेशनों आदि पर तो पूरा शहर ही नहीं देश से गंदगी दूर हो जायेगी। लेकिन गंदगी को साफ करने के लिए मेहनत करने के साथ ही कपड़े भी गंदे करने होंगे, मुंह में बड़े लोगों के धूल न लगे इसके लिए मास्क लगाने होंगे। यदि मास्क लग गये तो फोटोग्राफी कैसे होगी। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी समाज सेवा करने वाले स्वच्छता अभियान चलाते हैं तो पूरे मन से। इनसे शहर वालों को सीखना होगा। स्वच्छता अभियान कोई ढकोसला नहीं है। मन स्वच्छ होगा, तन स्वच्छ होगा, विचार स्वच्छ होंगे तो स्वच्छता के लिए कदम आगे बढ़ेंगे। फोटाग्राफी भी करवाओ, प्रेस नोट भेजो, लेकिन काम दिखाकर।

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