मुजफ्फरनगर इन दिनों किसानों की पंचायतों के साथ ही उनका शक्ति परीक्षण का केंद्र बना हुआ है। जिस मैदान में सितंबर के प्रथम सप्ताह में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले संयुक्त किसान मोर्चा ने महापंचायत की थी उसी मैदान में 26 सितंबर को महा पंचायत कर हिंद मजदूर किसान समिति ने टिकैत बंधुओं को अपनी ताकत का अहसास करवा दिया। टिकैत बंधुओं ने इस महापंचायत को विफल करने के पुरजोर प्रयास किये। लेकिन किसानों को एकत्र होने से नहीं रोक पाये। इसके अगुवा भी गठवाल खाप के बाबा राजेंद्र सिंह मलिक थे।
बता दें कि किसानों में फूट भी भाकियू की राजधानी सिसौली से पड़ी जहां भाजपा विधायक उमेश मलिक के साथ दुर्व्यवहार के चलते बाबा राजेंद्र सिंह खफा हो गये थे। पूरे पश्चिम में चर्चा है कि संयुक्त किसान मोर्चा की पंचायत में हरियाणा, राजस्थान, पंजाब समेत अन्य राज्यों से जितने लोग जुटाये गये उससे अधिक तो केवल पश्चिम के जिलों से ही जुटा लिये गये। बाबा राजेंद्र सिंह ने सीधे सीधे टिकैत भाइयों को चुनौती दी है। वे खुद भी संयुक्त किसान मोर्चा की पंचायत में नहीं गये थे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर गाजियाबाद से लेकर सहारनपुर तक के किसान दोनों पंचायतों को लेकर चर्चा कर रहे हैं। अंदर की जानकारी यह है कि बाबा राजेंद्र सिंह किसानों के अन्य मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने के साथ ही मांगें मनवाने का प्रयास कर रहे हैं। अब जल्द ही पश्चिम के किसान पूरी तरह से बंटे नजर आ रहे हैं। इसका असर भारत बंद में भी दिखा जब भाकियू एक दुकान तक बंद नहीं करवा पाई। सभी की नजरें बाबा राजेंद्र सिंह मलिक की तरफ लगी है।