Dainik Athah

राग दरबारी

– पश्चिमी क्षेत्र अध्यक्ष तक भी नहीं पदाधिकारियों की पहुंच!

देश एवं प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के पश्चिम क्षेत्र अध्यक्ष का पद पार्टी में महत्वपूर्ण है। अध्यक्ष के पास संगठन की जिम्मेदारी होती है। इसका अर्थ संगठन के पदाधिकारियों से सीधा संवाद होना चाहिये। लेकिन पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष की स्थिति पार्टी के बड़े से बड़े पदाधिकारी से कम नहीं है। देश एवं प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के पश्चिम क्षेत्र अध्यक्ष का पद पार्टी में महत्वपूर्ण है। अध्यक्ष के पास संगठन की जिम्मेदारी होती है। इसका अर्थ संगठन के पदाधिकारियों से सीधा संवाद होना चाहिये। लेकिन पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष की स्थिति पार्टी के बड़े से बड़े पदाधिकारी से कम नहीं है। यदि कार्यकर्ता अथवा पदाधिकारी को बात करनी होती हो तो सबसे कठिन काम है। इसका कारण यह है कि अध्यक्ष जी का फोन ही नहीं उठता। यह पार्टी के बड़ी संख्या में पदाधिकारियों का दर्द है। एक पदाधिकारी कहते हैं कि फोन न उठने की स्थिति में मोबाइल पर संदेश दिया जाता है। इसके बाद भी उस कार्यकर्ता से बात करें अथवा नहीं यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है। अब स्थिति यह है कि मेरठ स्थित कार्यालय में किसी से संबंध हो तो पूछ लिया जाता है अध्यक्षजी कब उपलब्ध होंगे तथा मुलाकात हो सकती है क्या। उनके चहेते एक पदाधिकारी कहते हैं कि काम ही इतना है कि फोन उठाने की फुर्सत ही नहीं मिलती। लेकिन अध्यक्षजी को पार्टी के ही कद्दावर पदाधिकारियों का संरक्षण है तो कुछ बिगड़ भी नहीं सकता। हालांकि उनकी अधिकांश बिरादरी भाजपा के खिलाफ ताल ठोंके है।

– सपा के सत्ता में आने का इंतजार तो नहीं कर रहे महारथी


साइकिल वाली पार्टी में एक नेताजी हमेशा ही सत्ता आने पर ही प्रकट होते हैं। सत्ता में आने के बाद संगठन से लेकर पुलिस- प्रशासन तक में उनकी तूती बोलती है। लेकिन जब सरकार नहीं रहती तब वे अंर्तध्यान रहते हैं। कुछ सपाई आपस में खड़े बात कर रहे थे कि जब पसीना बहाने का मौका हो तो हम बहायें, लेकिन मलाई खाने की नौबत आये तो अचानक से साहब ऐसे प्रकट हो जाते हैं जैसे सबकुछ वे ही कर रहे हों। इसी दौरान एक अन्य साहब कहते हैं कि वे तो भइया के संपर्क में रहते हैं। ऐसा कोई माह नहीं गुजरता जब वे भइया से न मिलते हों। ऐसे में भइया को क्या पता वे पार्टी के लिए कितना काम कर रहे हैं। लेकिन उनका जलवा तो लखनऊ से दिल्ली तक पूरा है। ऐसे में कोई उनका क्या बिगाड़ सकता है। रही बात वर्तमान पदाधिकारियों की तो कुछ काम करते नहीं, जो करते हैं उन्हें दिखाना नहीं आता।

– दो पार्षदों को नहीं मिले पन्ना प्रमुख

भारतीय जनता पार्टी में कुछ लोग अहम पद पर पहुंच तो गए हैं, लेकिन उनका पार्टी के कार्यक्रमों से कोई सरोकार नहीं है। इन्हीं लोगों में दो पार्षद भी शामिल है। शहर मंडल के इन दो पार्षदों के साथ दिक्कत यह है कि वह मंडल की किसी बैठक में शामिल नहीं होते, जिसकी नाराजगी मंडल अध्यक्ष कई बार जता भी चुके हैं। इस बात को अगर नजरअंदाज भी कर दिया जाए तो सबसे बड़ी बात यह है कि यह दोनों पार्षद अब तक पन्ना प्रमुख तक नहीं बना पाए हैं जो भाजपा का महत्वपूर्ण मिशन है और इसके बिना बूत पर चुनाव भी संभव नहीं है। पार्षद जैसे अहम पद पर बैठकर इनके सिर पर सत्ता का इतना गुरुर हो गया है कि मंडल के कार्यक्रमों में जाना वह अपनी तौहीन समझते हैं, जो इस समय शहर मंडल के पदाधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *