रविवार को योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। इस विस्तार में सात नये मंत्री बनाये गये। इनमें से यदि एक जितिन प्रसाद जो जन्म से कांग्रसी रहे हैं को छोड़ दिया जाये तो बाकि छह मंत्रियों को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि इनकी लॉटरी कैसे लगी। इनमें से कई तो लंबे समय से मंत्री पद की बाट जोह रहे थे। मंत्रिमंडल विस्तार में किस की चली। मुख्यमंत्री, संगठन महामंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, अमित शाह। हर कोई बस सोचने में लगा है।
सभी सोच रहे हैं कि कौन किसके नजदीक है जिससे अंदाजा लगाया जा सके कि किसकी चली। बस चल रहा है तो कयासों का दौर। लेकिन भाजपा के किले रूपी कार्यालय से छनकर आ रही खबरें तो भाजपा के मातृ संगठन की तरफ इशारा कर रही है। इसका सीधा अर्थ है कि संघ की चाहत से ही छह नये मंत्री बनें है। यह भी किसी से छुपा नहीं रह गया है कि बाबा भी अब संघ के चेहेतों की सूची में शामिल हो चुके हैं। इस कारण बाबा को यदि संघ से इशारा मिलेगा तो वे पल भर की देरी नहीं करेंगे। अब सीधे सीधे इसका अर्थ कोई भी आसानी से लगा सकता है। यहीं कारण है कि दिल्ली से आये भारी भरकम ब्यूरोक्रेट भी पीछे रह गये। बाबा ने संघ को इस नाम को बाहर करने पर राजी कर लिया।