पंजाब में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री बदलने का निर्णय तो कर लिया। लेकिन पंजाब के बाद कांग्रेस शासित राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में बदलाव के लिए कांग्रेस नेतृत्व पर असंतुष्टों का दबाव बढ़ेगा। पंजाब में आने वाले समय में इस बदलाव से राजनीतिक हालात कितने बदलेंगे इसके लिए कुछ समय इंतजार करना होगा। लेकिन कांग्रेस ने एक जनाधार वाले नेता को खो दिया यह कहने में कोई संकोच नहीं है। इस बदलाव के बाद राजस्थान में सरगर्मी शुरू हो गई है। सीधा अर्थ कि पायलट खेमे ने आलाकमान पर दबाव बढ़ा दिया है।
यह दबाव इसलिए बढ़ाया गया है कि आलाकमान ने जो आश्वासन पायलट खेमे को दिये थे वे अब तक पूरे नहीं हुए हैं। यहीं कारण है कि अब पायलट खेमा फ्रंट फुट पर है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है। कांग्रेस के भीतर से छनकर आ रही खबरों की मानें तो सत्ता विरोधी लहर की काट के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया है। लेकिन कहीं ऐसा न हो कि पूरी सरकार ही बदल जाये। कांग्रेस क्या कैप्टन के कद से डर गई थी। राजनीतिक हलकों में तो यह चर्चा भी तेज है। आलाकमान केवल गांधी परिवार के अलावा किसी का कद बढ़ना बर्दाश्त नहीं कर सकता। हालांकि कहा तो यहां तक जा रहा है कि भाजपा ने जिस प्रकार गुजरात में पूरा मंत्रिमंडल बदल डाला इसके बाद ही कांग्रेस आलाकमान की भी हिम्मत हुई। लेकिन भाजपा नेतृत्व एवं कांग्रेस नेतृत्व में बड़ा फर्क है। इसे आसानी से समझा जा सकता है। अब सभी की नजरें कैप्टन के अगले कदम के साथ ही राजस्थान के हालात पर है। देखें वहां क्या होता है।