पंजाब- पुणे की घटनाओं पर आखिर चुप्पी का राज क्या है!
पुणे में एक युवती के साथ गैंग रेप मामले में दरिंदगी की हद पार हो गई। निर्भया कांड जैसा ही पुणे का कांड है। पंजाब में भी गैंग रेप का मामला सामना आया है। लेकिन इस प्रकार की घटनाओं पर आसमान सिर पर उठाने वाले दल एवं नेता बिलों में दुबके नजर आ रहे हैं। न कहीं की दौड़ हो रही है, न किसी प्रकार की बयानबाजी। हो भी क्यों ये घटनाएं कांग्रेस शासित राज्यों में जो हुई है।
महाराष्ट सरकार में कांग्रेस खुद शामिल है। मुख्यमंत्री चाहे शिवसेना का हो। लेकिन ऐसी घटना यदि किसी भाजपा के शासन वाले राज्य में हुई होती तो दिल्ली से नेताओं की कतार उस शहर अथवा गांव जाने के लिए लग जाती। हाथरस कांड को अधिक दिन नहीं हुए। शायद ही कोई राजनीतिक दल हो ऐसा हो जो जिसने हाथरस कांड पर रोटियां न सैंकी हो। यह स्थिति बताती है कि कुछ दलों एवं नेताओं की नजर में घटना कोई बड़ी नहीं होती। यह देखा जाता है कि घटना किस दल के शासन वाले राज्य में हुई। आखिर कांग्रेस, सपा, बसपा समेत सभी दलों की चुप्पी का राज क्या है। क्या यह चुप्पी अपनी ही सरकार को बचाने के लिए है। शर्म आती है ऐसी राजनीति पर। दरिंदगी, अपराधों को भी ये राजनीति के तराजू में तोलते हैं। यदि भाजपा विरोधी दलों के नेताओं ने चुप्पी तोड़ी होती तो उनका मान- सम्मान बढ़ता ही। कम नहीं होता। आवश्यकता इस बात की है कि दरिंदगी करने वालों को कड़ा सबक सिखाया जाये, चाहे वे कोई भी हो, किसी भी जाति अथवा धर्म के हो।