नगर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष के लिए पहली बार जातीय गणित को लेकर उठे सवाल
गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष चुनाव के लिए भाजपा में ही राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा पार्षद एवं वरिष्ठ नेता हिमांशु लव ने अब एक नया मुद्दा उठा दिया है। उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष चुनाव में जातीय समीकरणों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस जाति से सांसद, विधायक, महापौर, भाजपा महानगर अध्यक्ष व जिलाध्यक्ष न हो। बाह्मण के मामले में उन्होंने अनिल स्वामी की वरिष्ठता का हवाला दिया।
बता दें कि नगर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष का चुनाव अगले कुछ दिनों में संभावित है। वर्तमान समय में इस पद के लिए दो निगम कार्यकारिणी सदस्यों अनिल स्वामी जो महापौर आशा शर्मा के भाई है के साथ ही सांसद जनरल वीके सिंह के खास राजीव शर्मा का नाम प्रमुखता से चल रहा है।
इस मामले में दैनिक अथाह कार्यालय आये पार्षद हिमांशु लव ने कहा कि वर्तमान मे भारतीय जनता पार्टी नगर निगम में बहुमत मे है । इस नाते नगर निगम उपाध्यक्ष का पद भी भाजपा को ही मिलेगा । यह निश्चित है । इसके साथ ही उन्होंने कहा वर्तमान में भाजपा से ब्राहम्ण समाज की तरफ से दो पार्षद मैदान में है । जिनमें वरिष्ठ निगम पार्षद अनिल स्वामी तथा निगम राजीव शर्मा का नाम प्रमुखता से है ।
उन्होंने कहा कि मेरा अपना निजी विचार है कि यदि महापौर ब्राहम्ण समाज में है, साहिबाबाद विधायक, भाजपा महानगर अध्यक्ष भी ब्राह्मण है। नगर विधायक वैश्य समाज से है तथा राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल भी वैश्य समाज से है। इतना ही नहीं मुरादनगर विधायक त्यागी व सांसद वीके सिंह राजपूत समाज से है। इस स्थिति में नगर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष अन्य समाज से होना चाहिए।
हिमांशु लव ने कहा नगर निगम कार्यकारिणी में भिन्न – भिन्न समाज के पार्षद कार्यकारिणी सदस्य हैं। जातिगत समीकरण व संतुलन बनाये रखने के लिए अन्य जाति का उपाध्यक्ष होना क्या अनिवार्य नहीं है और यदि संगठन ब्राहम्ण समाज को ही उपाध्यक्ष पद देना चाहता है तो अनिल स्वामी क्यों नहीं जबकि अनिल स्वामी छह बार के निगम पार्षद हैं और जिन्हें नगर निगम के नियमों का अनुभव है तो वहीं क्यों नहीं। उन्होंने कहा क्या उनका यही दोष है कि वो वर्तमान महापौर के भाई हैं तो यह कदापि न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने मेरी भाजपा संगठन से अपील की कि इस विषय पर पुन: विचार किया जाये। हिमांशु लव ने जातीय समीकरणों को हवा देकर अब वर्तमान में दावेदार दोनों पार्षदों की राह कठिन कर दी है। इसके साथ ही ब्राह्मण के मामले में अनिल स्वामी का समर्थन भी एक तरह से कर दिया।