आखिर क्या हो गया गाजियाबाद नगर निगम को!
रोम जल रहा था, नीरो बंसी बजा रहा था। ठीक ऐसी ही हालत गाजियाबाद नगर निगम की लगती है। शहर की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। ऐसा लगता है कि नगर निगम में कोई देखने वाला नहीं रह गया। निगम प्रशासन के साथ ही जन प्रतिनिधि भी हाथ बांधे बैठे हुए हैं। गाजियाबाद शहर की हालत इस बार की बरसात में जैसी हुई वैसी हालत पिछले तीन दशक में मैंने तो नहीं देखी। बरसात ने नगर निगम की नालों की सफाई की पोल पूरी तरह से खोल कर रख दी। नाले कागजों में ही साफ होने का नतीजा है कि सड़क से लेकर लोगों की रसोई तक सीवर व नालों का गंदा पानी पहुंच गया। इसके लिए कौन दोषी है, क्या किसी के खिलाफ कार्रवाई होगी। अभी तक तो नहीं हुई।
नालों की सफाई के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा टूटी सड़कों का है। सड़कें भी ऐसी बन रही है अथवा पैच वर्क ऐसे हो रहे हैं कि एक बरसात में ही या बरसात न हो तब भी कुछ दिनों में सड़क पहले से ज्यादा टूटी नजर आती है। इसमें चाहे लाइनपार क्षेत्र का मामला हो, ट्रांस हिंडन का अथवा गाजियाबाद शहर एवं औद्योगिक क्षेत्रों का। डीपीएस फाटक से मेरठ रोड जाने वाली सड़क एवं डायमंड फ्लाईओवर से एनएच 9 की तरफ जाने वाली सड़क हो कुछ समय के लिए ठीक करवाया जाता है, फिर हालत पहले से अधिक खराब नजर आने लगती है। क्या नगर आयुक्त, महापौर, निर्वाचित पार्षदों की कोई जिम्मेदारी नहीं है। जिम्मेदारों की चुप्पी के चलते ही आम जनता को सड़क पर उतरकर अपनी बात रखनी पड़ रही है। जागो जिम्मेदारों, जागो।