भारतीय जनता पार्टी में कुछ भी पाना आसान नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही नये एमएलसी की नियुक्ति के मामले में आये दिन चर्चाओं के बावजूद दावेदारों को कुछ हासिल नहीं हो रहा है। जब भी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा छिड़ती है मीडिया एवं सोशल मीडिया में दो- चार नये नाम भी आने लगते हैं। जिनके नाम आते हैं उन्हें एडवांस में बधाई देने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन अंत में बधाई देने वालों के साथ ही लेने वाले भी थक जाते हैं।
बाद में उनके मुंह से निकलता है पता नहीं कब विस्तार होगा। जिन विधायकों के नाम चलते हैं वे खुश भी होते हैं, साथ ही यह सोचकर परेशान भी कि चुनाव लड़ेंगे या मंत्री पद का सुख भोगेंगे। उनके क्षेत्र की जनता की उम्मीदें भी उनसे बढ़ जायेगी। ठीक यहीं स्थिति नामित होने वाले विधान परिषद सदस्यों को लेकर है। पद रिक्त हुए एक माह हो चुका है। लेकिन पार्टी के आला नेता यह तय ही नहीं कर पा रहे कि किसे एमएलसी बनायें, किसे छोड़ें।
एमएलसी के लिए भी पार्टी में लंबी सूची है। जैसा हाल मंत्री पद के दावेदारों का है ठीक वैसा ही अब एमएलसी के दावेदारों का होने लगा है। एक दावेदार से बात की गई तो बड़ी थकी सी आवाज में कहते हैं पता नहीं भाई साहब पार्टी नेतृत्व कहे जाने वाले नेता कब सूची को फाइनल करेंगे। लगे हाथ वे यह भी पूछ लेते हैं आपके पास कोई सूचना हो तो बताओ। मंत्री पद के इच्छुक लोगों ने अपने कुछ कार्यों पर ब्रेक लगाया हुआ है, कि जब मंत्री बन जायेंगे तब इस काम को करने में धमक ज्यादा होगी। लेकिन छन कर आ रही खबरों के अनुसार गुरुवार को पार्टी के चार प्रमुख नेताओं की बैठक हुई है। अब बैठक का नतीजा क्या रहा यह मीडिया वाले अपनी सुविधा के अनुसार चलायेंगे। लेकिन दावेदार तो थकने ही लगे हैं।