उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस इन दिनों ताबड़तोड़ कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के सामने बड़ी समस्या यह है कि आये दिन होने वाले कार्यक्रमों के लिए वे भीड़ कहां से लायें। कारण कि इन कार्यक्रमों में पार्टी के पुराने पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी आने से बच रहे हैं। उनका मानना है कि केवल पसीना बहाने से क्या लाभ। अभी पिछले दिनों कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष बदले गये थे। अब बदलाव के तत्काल बाद कार्यक्रमों की बाढ़ सी आ गई। इसी दौरान भीड़ दिखाना भी आवश्यक है।
ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों से काम चलाया जा रहा है। क्या इन दिहाड़ी मजदूरों के भरोसे कांग्रेस के स्थानीय नेता पार्टी को खड़ा कर पायेंगे। वे खुद को चाहे तसल्ली दे लें। लेकिन जिस पार्टी की वे राजनीति कर रहे हैं उस पार्टी के साथ क्या धोखाा नहीं है। कांग्रेस प्रदेश में सबसे नीचे के पायदान पर है। ख्ुाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कांग्रेस का प्रदेश में नेतृत्व कर रही है। हो सकता है कि कांग्रेस उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दें। लेकिन इन हालातों में कांग्रेस कितना आगे बढ़ पायेगा यह सवाल आम कांग्रेसियों के सामने मुंह बांये खड़ा है। यदि कांग्रेस को प्रदेश में आगे बढ़ना है तो उसे जमीनी कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने के साथ ही एक नयी पौध तैयार करनी होगी तभी कांग्रेस देश के इस सबसे बड़े राज्य में आगे बढ़ सकमती है।