– पुरुष बीट पुलिस अधिकारी हो सकते हैं तो महिला क्यों नहीं: सीएम योगी
– महिला सशक्तिकरण के संकल्प को पूरा करने जल्द शुरू होगा मिशन शक्ति का नया चरण
– ग्राम सचिवालय/न्याय पंचायत भवनों में मिशन शक्ति कक्ष होगा खास
– मिशन शक्ति के नए चरण में अंतर्विभागीय समन्वय के साथ बनाएं कार्ययोजना: सीएम
– स्वास्थ्य के साथ साइबर सुरक्षा के लिए महिलाओं को जागरूक करेगी सरकार
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। महिला पुलिसकर्मियों के लिए अच्छी खबर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि पुरुष आरक्षियों की तरह ही हर थाने में महिला पुलिसकर्मियों को भी बीट की जिम्मेदारी दी जाए।
शुक्रवार को मिशन शक्ति के नए चरण के शुरूआत की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि महिला संबंधी अपराधों में न्यायिक प्रक्रिया चलने में अनेक वर्ष लगते हैं। पीड़िताएं, महिला आरक्षी एवं महिला उप-निरीक्षक के साथ एक अनुकूल वातावरण में खुलकर बात कर सकती हैं। बेहतर हो कि जिले में महिला पुलिस आरक्षियों तथा महिला उपनिरीक्षक की संख्या के अनुरूप 2 से 3 बीटों पर दो-दो महिलाकर्मी बीट पुलिस अधिकारी नियुक्त किए जाएं, जोकि गांवों में जाकर महिलाओं से संवाद स्थापित करें। किसी भी हिंसा के मामले में अथवा अपराध होने की स्थिति में तत्काल थाने को सूचना देकर अपेक्षित कार्यवाही करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा हर थाने में न्यूनतम एक-एक महिला उपनिरीक्षक भी नियुक्त करने की भी जरूरत बताई। सीएम ने कहा कि चरणबद्ध रूप से इसकी शुरूआत प्रदेश के चारों पुलिस कमिश्नरेट के थानों से की जा सकती है। उन्होंने गृह विभाग को इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने को कहा है।
मुख्यमंत्री आवास पर हुई मिशन शक्ति आयोजन की तैयारी समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने गृह, महिला एवं बाल विकास, ग्राम विकास एवं पंचायती राज, चिकित्सा स्वास्थ्य, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा सहित एक दर्जन विभागों के साथ मिशन शक्ति के संबंध में उनकी कार्ययोजना का अवलोकन किया। गृह विभाग की ओर से एडीजी महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन नीरा रावत और आईजी लखनऊ लक्ष्मी सिंह ने प्रस्तुतिकरण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने कहा संवाद से छोटी समस्याओं का समाधान ग्राम सुरक्षा समिति तथा महिला सुरक्षा समिति का सहयोग लेकर गांव में ही किया जा सकता है। पुलिस की मौजूदगी में हुए इस समाधान को एक स्थाई स्वरुप दिया जा सकेगा। अनुकूल वातावरण में बातचीत करने के लिये यह जरुरी है कि यह महिला बीट पुलिस अधिकारी जब भी गांवों में जाये तो कुछ समय वहां रुककर महिलाओं को अपने पास आने का मौका दें। ऐसी दशा में किसी न्याय पंचायत भवन में एक कक्ष अथवा आंगनवाड़ी केन्द्रों में एक कक्ष इन महिला बीट पुलिस अधिकारियों के लिये आरक्षित किया जा सकता है। इसे मिशन शक्ति कक्ष के रूप में नाम दिया जाना चाहिए। इस प्रयास से हम न केवल सुदूर ग्रामीण अंचलों में मिशन शक्ति की अलख जलाएंगे अपितु पुलिसिंग को जनसामान्य तथा महिलाओं के और पास ला सकेंगे। कम्यूनिटी पुलिसिंग के इस स्वरूप से ग्रामीण इलाकों में पुलिस की पहुँच एक सदभावनापूर्ण माहौल में अधिक गहराई से पहुँचेगी जिसके दीर्घकालिक लाभ होंगे। बता दें कि अब तक महिला आरक्षियों को अमूमन थानों पर डेस्क ड्यूटी, कम्प्यूटर ड्यूटी अथवा संतरी ड्यूटी ही दी जाती रही है।
समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि शारदीय नवरात्र से बासंतिक नवरात्र तक संचालित हुए मिशन शक्ति के अब तक के परिणाम आशातीत सफलता वाले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिशन शक्ति के अन्तर्गत अब तक का अभियान शहरों तथा कस्बों में, बाजारों तथा स्कूल/कॉलेजों पर फोकस रहा है। हाल के समय में कतिपय घटनाएं खेतों में काम करने वाली, पशुपालन में लगी तथा ईट-भट्टों में काम करने वाली अथवा स्कूल/कॉलेज छोड़ चुकी बच्चियों/महिलाओं के साथ प्रकाश में आई हैं। इन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए शक्ति मोबाईल को और क्रियाशील किया जाना आवश्यक है। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाओं/महिलाओं के साथ घटित होने वाली घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने अभियान के तहत ग्रामीण अंचलों के क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करके शक्ति मोबाइल के प्रवर्तन का अभियान 15 दिन तक चलाने की जरूरत भी बताई।
मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को मिशन शक्ति के नए चरण के दौरान महिला हित से जुड़ीं सरकार की योजनाओं से महिलाओं को लाभान्वित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महिला से जुड़े अपराध हो अथवा उनकी कोई अन्य समस्या, सभी कार्यालय इनका समाधान शीर्ष प्राथमिकता के साथ करने के निर्देश भी दिए। ग्राम विकास विभाग की कार्ययोजना को देखते हुए मुख्यमंत्री ने निमार्णाधीन ग्राम सचिवालय को ग्राम पंचायतों को एक व्यवस्थित स्वरूप देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि गांवों में सामुदायिक शौचालय, बीसी सखी जैसे प्रयास महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। सीएम ने अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग को महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की जांच के विशेष प्रयास करने के निर्देश दिए तो शिक्षा विभाग को लैंगिक संवेदनशीलता, अभिभावकों में जागरूकता, किशोरी बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करने जैसे प्रयास करने पर बल दिया।