Dainik Athah

योगी सरकार संवारेगी कोरोना से प्रभावित बच्चों का भविष्य

प्रतिमाह अभिभावकों को मिलेगी 4000 रूपए की सहायता राशि
– मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण में बनेगी मददगार
– बालकों की अटल एवं बालिकाओं की कस्तूरबा गॉधी आवासीय विद्यालयों में होगी शिक्षा
– उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से कोई बच्चा छूटना नहीं चाहिए: राकेश कुमार सिंह
– 100 बच्चे हुए हैं योजना से लाभान्वित, प्रतीक स्वरूप 10 बच्चों को मिले स्वीकृति पत्

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। ऊधर लखनऊ के लोकभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारंभ किया। जिले में मेयर आशा शर्मा, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह और मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने जिले में 10 बच्चों को स्वीकृति पत्र सौंपे। यह स्वीकृति पत्र प्रतीकात्मक रूप से प्रदान किए गए हैं। जिले में कुल 100 बच्चों को योजना का लाभ मिलेगा। उन्हें भी जल्द ही स्वीकृति पत्र प्राप्त हो जाएंगे। लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम का जिले में सीधा प्रसारण भी किया गया। इतना ही नहीं, बाल सेवा योजना में कोरोना प्रभावित बच्चों का लालन-पालन करने वाले अभिभावकों के खातों में चार हजार रूपए प्रति बच्चे के हिसाब से तीन माह की धनराशि भी एक साथ भेज दी गई। यानी 12000 रूपए ऐसे बच्चों के अभिभावकों को प्राप्त हो गए हैं।


कोरोना संक्रमण की वजह से निराश्रित व अनाथ हुए बच्चों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी अब प्रदेश की लोकप्रिय योगी सरकार उठाएगी।प्रदेश सरकार द्वारा प्रभावित बच्चों का लालन-पालन व देखभाल करने वालों अभिभावकों के खातों में प्रति बच्चा 4000 रुपए के हिसाब से तीन माह की धनराशि 12000 रुपए एक साथ भेजे गए हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारंभ लखनऊ में किया। इस अवसर पर निराश्रित व अनाथ बच्चों को मुख्यमंत्री व राज्यपाल ने योजना में चयनित होने का स्वीकृति पत्र, स्कूल बैग, लैपटॉप, लंच बाक्स, किताबें एवं अन्य स्टेशनरी भी दी। प्रदेश में 4050 बच्चे कोरोना संक्रमण के कारण निराश्रित हुए हैं, जिनमें 240 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता दोनों ही दुनिया में नहीं हैं और 3810 बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है।


इस अवसर पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कलक्ट्रेट के महात्मा गांधी सभागार में सजीव प्रसारण के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां प्रदेश के मुखिया द्वारा स्वयं कोरोना काल में निराश्रित एवं अनाथ हुए बच्चों की सुध लेते हुए उनको मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कोविड प्रभावित बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह सभी आत्मविश्वास से आगे बढ़ें और खूब पढ़ें। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि बच्चों की उचित देखभाल करें और उनके आगे बढ़ने में हर संभव मदद करें, प्रदेश सरकार एवं प्रशासन हर कदम पर उनके साथ खड़ी है।


जिलाधिकारी ने कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का मुख्य उद्देश्य कोरोना वैश्विक महामारी में अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की देखभाल करते हुए उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी करना है। योजना में 18 वर्ष की आयु तक के ऐसे बच्चों का चयन किया जाता है जिनके माता-पिता दोनों या फिर किसी एक की मृत्यु कोविड महामारी से हो गयी हो। उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्र समेत संबंधित अधिकारीगण को निर्देश दिया कि जिले में उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से कोई बच्चा छूटना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को सिर्फ लाभ ही नहीं दिलाया जाए बल्कि भावनात्मक सहयोग भी दिया जाए। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया कि उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 18 वर्ष तक के बच्चों के वैध संरक्षकों के खाते में 4000 रुपए प्रतिमाह दिये जाएंगे। बच्चे को विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रवेश दिलाते हुए टीकाकरण भी कराया जाएगा। बालगृृहों में रखे जाने वाले बच्चों का दाखिला अटल आवासी विद्यालय एवं कस्तूरबा गॉधी आवासीय विद्यालय में किया जाएगा। योजना में चिन्हित बालिकाओं के शादी योग्य होने पर विवाह के लिए एक लाख एक हजार रूपए की सहायता राशि दी जाएगी, साथ ही कक्षा नौ या इससे ऊपर की कक्षा में या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के छात्रों को लैपटॉप या टैबलेट उपलब्ध कराया जाएगा।
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि जिले में 291 आवेदन पत्र प्राप्त हुए जिनमें से 100 बच्चों को योजना के तहत चयनित करते हुए उनके अभिभावकों के खातों में तीन माह की धनराशि भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि चयनित बच्चों में 39 बालिकाएं एवं 61 बालक हैं। इनमें से 12 बच्चे ऐसे हैं जो माता-पिता दोनों को खो चुके हैं एवं 88 बच्चों ने माता पिता में से किसी एक को खोया है। कार्यक्रम में 10 बच्चों को प्रतीक स्वरूप मेयर आशा शर्मा, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह व मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने स्वीकृति पत्र प्रदान किए।

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