तिब्बती संस्कृति भारत की संस्कृति का ही प्रसार: जिग्मे सुल्ट्रीम
मोदीनगर।योग दिवस व गंगदशहरा पर भारत तिब्बत समन्वय संघ के द्वारा आयोजित वेबिनार पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ अशोक वार्ष्णेय वेबिनार में कोयंबटूर से बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि योग का उपयोग अगर पूरा विश्व करे तो दुनिया की बहुत सी समस्याएं सुलझ सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत व तिब्बत की योग की भूमि के आपसी समन्वय से ही दुनिया में शांति व स्थिरता आएगी।
देश के लोकप्रिय हनुमत कथावाचक व संघ के प्रान्त बौद्धिक टोली के सदस्य संत अरविंद भाई ओझा ने कहा कि गंगा दशहरा मां गंगा के अवतरण के पावन दिवस पर हम सब यह संकल्प लें कि जिस प्रकार से सोवियत संघ खंडित हुआ, बर्लिन की दीवार टूटी, उसी तरह से चीन के चंगुल से तिब्बत को मुक्त कराने के भाव में जुड़ना है। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों के लिए शरणार्थी शब्द कहना बंद करें। यह हमारे भाई हैं इनको परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकारिये। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों को तिब्बती नागरिकता के साथ-साथ भारत की नागरिकता भी दी जानी चाहिए।
तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि जिग्मे सुल्ट्रीम ने कहा कि तिब्बती संस्कृति भारत की संस्कृति का ही प्रसार है और यही कारण है कि चिकित्सा में तिब्बती पद्धति के चिकित्सकों द्वारा लाभ भारतीयों को मिल रहा है।वेबिनार में बेंगलुरु से अतिथि-वक्ता व तिब्बती चिकित्सा पद्धति के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के चिकित्सक डॉ दोरजी रैपटन व पतंजलि विश्व विद्यालय ने भी अपने विचार रखे।