उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए भाजपा बदल सकती है रणनीति
इसी रणनीति के तहत भाजपा ने हरियाणा में बनाई है तीन बार सरकार
जाट नेताओं को महत्वपूर्ण पद देने के बावजूद चुनावों में नहीं मिल रहा लाभ

अशोक ओझा
नयी दिल्ली/ लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश और खासकर पश्चिम एवं ब्रज क्षेत्र में हरियाणा के गैर जाट फार्मूले को लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। हरियाणा में इसी रणनीति पर चलकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल हो चुकी है। माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो इसी रणनीति पर पार्टी चलेगी।
भारतीय जनता पार्टी ने 2024 का लोकसभा चुनाव राष्टÑीय लोकदल के गठबंधन से लड़ा। रालोद से गठबंधन होने के पर यह माना जा रहा था भाजपा पूरे पश्चिम से विपक्षी दलों का सफाया कर देगी। लेकिन हुआ इसका उलट। भाजपा कार्यकर्ताओं ने गठबंधन धर्म को जिस मजबूती से निभाया उसके उलट रालोद गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर सका। जाट बहुल सीटों पर भाजपा को रालोद से गठबंधन के बावजूद हार का सामना करना पड़ा।
रालोद के विपक्षी गठबंधन में होने के बावूद भाजपा ने रालोद को उसके गढ़ बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, नगीना जैसी सीटों पर हराया था। रालोद के तत्कालीन अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान से हार गये थे। इसी प्रकार बागपत, कैराना, मुरादाबाद सीट भी भाजपा ने जीती थी। इन सीटों पर हार के बाद से भाजपा में मंथन जारी है। यहीं कारण है कि इस बार हरियाणा की रणनीति यूपी में लागू करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
भाजपा में एक वर्ग का मानना है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जाट समाज से है, इसके साथ ही जाट समाज को भाजपा ने मंत्री पद भी दिये हैं, एमएलसी भी दिये हैं इसके साथ ही संगठन में अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी है, बावजूद इसके भाजपा को लाभ मिलने के स्थान पर घाटा ही उठाना पड़ा।
उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो भाजपा के साथ ही संघ में एक वर्ग चाहता है कि भाजपा में जिन नेताओं को पार्टी ने बहुत कुछ दिया है वे इसका फल भी पार्टी को दिलवाये। इसके साथ ही रालोद गठबंधन धर्म को निभाते हुए अपने मतदाताओं को गठबंधन के लिए मजबूती से खड़ा करें। एक तरफ जहां भाजपा इस समय प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर माथापच्ची कर रही है, वहीं यह भी तय किया जा रहा है हरियाणा की रणनीति को उत्तर प्रदेश के जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं ब्रज क्षेत्र में जमीन पर उतारें। एक बड़े वर्ग का मानना है कि यदि भाजपा इस रणनीति पर आगे बढ़ती है तो पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलेगा।
हालांकि भाजपा के जिन नेताओं तक यह बात पहुंची है उनमें बेचैनी देखी जा रही है और कुछ नेता अपने पक्ष में खेमेबंदी कर रहे हैं, जिसका असर भी उलटा हो रहा है।
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सीएम आवास पर हुई महत्वपूर्ण समन्वय बैठक
अध्यक्ष पद पर बदलाव के बीच सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में मुख्यमंत्री के साथ ही दोनों उप मुख्यमंत्री, भाजपा से समन्वय का काम देख रहे सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, राष्टÑीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह समेत संघ से जुड़े प्रमुख लोग शामिल थे। बताया जाता है कि बैठक में संगठन की स्थिति को लेकर बात हुई, साथ ही संगठन और सरकार में तालमेल पर भी बात हुई। इतना ही नहीं मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर भी अलग से चर्चा हुई।
