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शशिबाला सोनकर ने नमकीन यूनिट से लिखी महिला सशक्तीकरण की नई कहानी

मिशन शक्ति-6

  • योगी सरकार ने किया सहयोग, टेलर से उद्यमी बनीं मीरजापुर की शशिबाला
  • ‘ओम साई आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह’ से जुड़कर शशिबाला की जिंदगी में हुई बदलाव की शुरूआत
  • आज इनके फूड प्रोसेसिंग यूनिट में 12 नियमित और 2-5 सीजनल कर्मचारी करते हैं काम
    अथाह ब्यूरो
    लखनऊ।
    उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद की 56 वर्षीय शशिबाला सोनकर मिशन शक्ति के तहत नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की एक प्रेरणादायक मिसाल बनकर उभरी हैं। कभी सिलाई कर घर का खर्च चलाने वाली शशिबाला के जीवन में योगी सरकार की योजनाओं ने बड़ा बदलाव लाया। मिशन शक्ति अभियान के तहत शशिबाला को योगी सरकार का सहयोग मिला और वह आज एक सफल उद्यमी बनकर प्रदेश भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गईं।
    छोटी बरैनी, कछवां की निवासी शशिबाला ने सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अपनी मेहनत और साहस से नमकीन यूनिट का सफल उद्यम स्थापित किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महिला सशक्तीकरण मुहिम ने शशिबाला जैसे लाखों ग्रामीण महिलाओं को सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की नई राह दिखाई है, जो नारी गरिमा को नई ऊंचाई दे रही है।
    12वीं तक पढ़ी-लिखी शशिबाला ने जीवन में लिंग भेदभाव और रंग-रूप जैसी चुनौतियों का सामना किया, साथ ही तीन बेटियों पालन-पोषण की जिम्मेदारी को निभाते हुए उन्होंने हर परिस्थिति को अपनी शक्ति और संकल्प से अवसर में बदला। ससुराल पक्ष से आर्थिक या नैतिक समर्थन न मिलने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। सिलाई का काम शुरू कर उन्होंने घर खर्च और बच्चों की पढ़ाई का बोझ उठाया। 2018 में ह्यओम साई आजीविका महिला स्वयं सहायता समूहह्ण (रऌॠ) से जुड़कर उनकी जिंदगी में बदलाव की शुरूआत हुई। इस समूह ने उन्हें वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया। आज वे समूह की कोषाध्यक्ष हैं और अन्य महिलाओं को सशक्त करने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
  • राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने नमकीन यूनिट शुरू करने का दिया अवसर
    शशिबाला का उद्यमी सफर तब रंग लाया जब डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स और उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के ह्यएक लाख महिला उद्यमी कार्यकमह्ण से उन्हें नमकीन यूनिट शुरू करने का अवसर मिला। शशिबाला बताती हैं कि ह्लअपनी योजना को साकार करने के लिए विभिन्न स्रोतों से धन जुटाया। 2 लाख रुपये (उछऋ से उउछ), 1 लाख रुपये (उकऋ), 2 लाख रुपये (कैसफॉर) और 10 लाख रुपये (ढटएॠढ के तहत आर्यावर्त बैंक से ऋण)। अपनी जमीन पर स्थापित इस फूड प्रोसेसिंग यूनिट में 12 नियमित और 2-5 सीजनल कर्मचारी काम करते हैं, जिनका मासिक वेतन 5,000 से 28,000 रुपये तक है। यूनिट मासिक 50,000 से 90,000 रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर रही है, और उत्पाद मिजार्पुर, भदोही व वाराणसी के वितरकों तक पहुंच रहे हैं।ह्ल
    अपने उद्यम को औपचारिकता और विस्तार देने के लिए शशिबाला ने व८िें फीॅ्र२३१ं३्रङ्मल्ल, ऋररअक फीॅ्र२३१ं३्रङ्मल्ल, ऋ’्रस्र‘ं१३ और डठऊउ पर डिजिटल पंजीकरण करवाया। ङइइछ, ४८िटए मेला और जिला स्तरीय उद्यमी सम्मेलनों (ऊएउ) में भाग लेकर उन्होंने नेटवर्किंग और विपणन रणनीति सीखी। मिशन शक्ति के तहत मिले प्रशिक्षण और सरकारी सहयोग ने उन्हें सुरक्षा और आत्मविश्वास दिया, जिससे वे अपने समुदाय में बदलाव की अगुआ बन सकीं।
    शशिबाला कहती हैं कि उनकी अगली योजना बेकरी और चॉकलेट निर्माण इकाई स्थापित करना है, जिसमें उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण, आधुनिक मशीनरी और अतिरिक्त वित्तीय सहायता की जरूरत होगी। उनका अच्छा उकइकछ स्कोर और पारदर्शी वित्तीय प्रबंधन भविष्य में और सहयोग दिलाने में मददगार साबित होगा। ‘मैंने कठिनाइयों को चुनौती मानी। सरकार की योजनाओं ने मुझे और मेरी बेटियों को सम्मान दिया।’

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