Dainik Athah

27 मई को सर्वार्थ सिद्धि योग ,मातंग योग ,शोभन और सुकर्मा योग में होगा सावित्री व्रत व वट पूजन

इसी दिन मनाई जाएगी शनि जयंती और रखा जाएगा रोहिणी व्रत

शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद के आचार्य पंडित शिवकुमार शर्मा के  अनुसार इस वर्ष सावित्री व्रत और वट पूजन 27 मई को होगा।27 मई को प्रातः काल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि है जो प्रातः 8:31 बजे तक रहेगी। तत्पश्चात प्रतिपदा आ जाएगी। सावित्री व्रत ,वट पूजन और शनि जयंती उदयकालीन तिथि में मनाने का विधान  है इसलिए 27 मई को ही उपरोक्त पर्व मनाए जाएंगे।प्रातः काल 5:26 बजे तक कृतिका नक्षत्र है, उसके बाद पूरे दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा। इसीलिए रोहिणी व्रत भी 27 मई को ही रखा जाएगा।सौभाग्यवती और पतिव्रता महिलाएं इस बार वट सावित्री व्रत और रोहिणी व्रत एक ही तिथि को रखेंगे। ऐसा संयोग वर्षों बाद आता है। वट सावित्री पूजन व्रत के पीछे एक कथा प्रचलित है , कथा के अनुसार पतिव्रता महिला सावित्री ने अपने अल्पायु पति सत्यवान की मृत्यु के पश्चात अपने पातिव्रत्य धर्म का  पालन करने के कारण साक्षात यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांग लिए थे और साथ-साथ अपने सास ससुर का राज्य भी शत्रुओं से वापस करा लिया था ।

व्रत करने की विधि

प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर सौभाग्यवती महिलाएं सुंदर वस्त्र, साड़ी पहनें और पूर्ण श्रृंगार करें। बरगद के  वृक्ष के नीचे जाकर पूजा करें अथवा बरगद वृक्ष के टहनी को लाकर  अपने मंदिर के पास रखकर गाय के शुद्ध गोबर में उसको आरोपित करें। कलावा  लपेटें, धूप दीप नैवेद्य प्रसाद आदि से पूजन करें। भगवान  लक्ष्मी नारायण ,शिव पार्वती  की पूजा करें और उनसे प्रार्थना करें, तत्पश्चात सत्यवान सावित्री  की कथा सुनें ,इसके पश्चात अपने घर की बड़ी बुजुर्ग महिला को बायना दें और उनसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त करें। कहा जाता है कि इस पवित्र व्रत को  करने से महिलाएं के पति की आयु बढ़ती है। इसी प्रकार चंद्रमा का भी इस  बार  सबसे प्रिय रोहिणी नक्षत्र में  निवास होगा। रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा उच्च का होता है। इसलिए यह दिन वट सावित्री पूजन और रोहिणी व्रत के लिए बहुत ही शुभ है ।पतिव्रता और सौभाग्यवती महिलाएं वर्ष भर के पति के साथ नकारात्मक को छोड़कर  उनके लिए व्रत रखें और हमेशा उनका सम्मान करें तो आपको आपकी इच्छाएं पूर्ण होगी।इसी दिन शनि जयंती भी है। कहा जाता है कि भगवान शनि सूर्य  के पुत्र हैं उनका जन्म ज्येष्ठ अमावस्या को ही हुआ था इसलिए प्रतिवर्ष  इसी दिन भगवान शनि देव की जयंती मनाई जाती है। भगवान शनि न्याय के अधिष्ठाता देव हैं। उनको अनैतिक कार्य कदापि पसंद नहीं है। जो व्यक्ति नैतिक कार्य करते हैं ,धनार्जन में गलत कार्य नहीं करते हैं ,उन्हें शनि देव अपनी महादशा , साढ़ेसाती और ढैया की अवधि में बहुत ही लाभ और प्रतिष्ठा देते हैं। अनैतिक कार्य करने वालों को शनि देव क्षमा नहीं करते हैं। इसलिए उन्हें न्यायकारी कहा गया है।इस दिन भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए शनि देव का पूजन ,आरती शनि चालीसा ,शनि स्त्रोत आदि का पाठ करें और अपने नीचे कार्य करने वाले कर्मचारीगण,स्वीपर,गरीब मजदूर आदि व्यक्तियों की आर्थिक सहायता करें और उनका सम्मान करना चाहिए तो शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनिवार और शनि जयंती को सरसों के तेल, काले तिल, उड़द आदि दान करने का भी बहुत पुण्य मिलता है।

पंडित शिवकुमार शर्मा, ज्योतिष आचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद

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